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पर्यावरण की समस्या का समाधान शिक्षा से ही संभवः सरयू राय, हम अपने घर को साफ करें पर पर्यावरण को गंदा न करें, नीति बनाने वाले को तय करना होगा कि वह प्रकृति के साथ है या डोमिनेट करने वाला

By Goutam

Published on:

 

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जनसंवाद, जमशेदपुर। जमशेदपुर पश्चिमी के विधायक सरयू राय ने कहा है कि शिक्षा में बड़ी शक्ति है. इस शक्ति का उपयोग अगर हम पर्यावरण संरक्षण के लिए करें तो आज दुनिया जिस पर्यावरण संकट से जूझ रही है, उसका हम लोग सामना कर पाने की स्थिति में होंगे. उन्होंने कहा कि चूंकि शिक्षा में शक्ति है, इसलिए हमलोग आज यह आह्वान कर रहे हैं. वह कदमा के डीबीएमएस कॉलेज ऑफ एजुकेशन में आज International conference on Harnessing power of education (शिक्षा की शक्ति के दोहन पर अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन) में बतौर मुख्य अतिथि संबोधित कर रहे थे.

श्री राय ने कहा कि आज हमें ग्रीन इनिशियटिव लेने की जरूरत पड़ गई है. हम सभी प्रकृति के भीतर हैं पर जो महत्वपूर्ण पदों पर बैठे हैं, शक्तिशाली हैं, जिनके जिम्मे हमने शासकीय प्रबंधन दे रखा है, जो नीतियां बनाते हैं उनकी राय क्या है. पहला सवाल तो यही उठता है कि जो नीतियां बनाता है, उसका दृष्टिकोण प्रकृति के प्रति क्या है? क्या वह खुद को प्रकृति का हिस्सा समझता है? या फिर वह खुद को प्रकृति पर शासन करने वाला मानता है खुद को? क्या वह खुद को प्रकृति पर डोमिनेट करने वाला समझता है? इस सवाल का जवाब खोजना होगा. जो जिम्मेदार लोग हैं, वह अगर प्रकृति के बीच हैं, खुद को प्रकृति का हिस्सा मानते हैं, तब तो ठीक है.

श्री राय ने कहा कि हमारी संस्कृति में प्रकृति को लेकर बहुत सारी बातें ऐसी कही गई हैं, जिन्हें हम सेमिनारों में कोट करते हैं. हम प्रयास करें कि उन विचारों को फिर से अपने यहां लाएं और लागू किया जाए.

सरयू राय ने कहा कि उत्तरोत्तर विकास की स्थिति में, चाहे वह आध्यात्मिक हो या भौतिक, हम पाते हैं कि सबका प्रभाव हमारी प्रकृति पर पड़ा है. शुरु से अगर बात करें तो सबसे पहले अग्नि सामने आई. उसके बाद हमने पहिया बनाया. यह विकास का आरंभिक स्त्रोत है. वहीं से विकास का क्रम प्रारंभ हुआ. हम प्रकृति प्रेमी थे. लिहाजा, प्राकृतिक नियमों से बंधे रहे. जैसे अन्य जीव रहते थे, वैसे हम भी रहे. फिर मानव के मस्तिष्क ने सोचा कि अब हमें परिवर्तन करना है, अपने कष्टों को दूर करना है तो धीरे-धीरे उसने आविष्कार करना शुरु किया. सारे आविष्कार प्रकृति के माध्यम से हुए.

श्री राय ने कहा कि आज नई तकनीकी आ गई है. शहरीकरण हो रहा है. शहर बढ़ रहे हैं, शहरीकरण के साथ समस्याएं भी बढ़ रही हैं. हमें शहरीकरण के प्रतिकूल प्रभाव को नियंत्रित करना होगा. इस दिशा में हम उतने सक्षम नहीं हो पा रहे हैं. चीजों को क्रियान्वित नहीं कर पा रहे हैं. आज यही सबसे बड़ी चुनौती बन कर रह गई है.

सरयू राय ने कहा कि घरों से जो कचरा निकल रहा है, अगर सामूहिक रूप से उनकी मात्रा बहुत अधिक हो जाएगी तो उनका निस्तारण कैसे होगा? विकास करने के साथ-साथ वजूद को बचाने के लिए भी इनिशियेटिव लेने होंगे. शासक वर्ग अगर खुद को प्रकृति का हिस्सा नहीं मानेगा, प्रकृति को डोमिनेट करने वाला मानेगा तो यहीं से गंभीर समस्याओं की शुरुआत होती है. हम सभी इससे प्रभावित होंगे बल्कि हो रहे हैं. हमें दूसरों को नियंत्रित करने के पहले खुद पर नियंत्रण स्थापित करना होगा. अगर हम पहला कदम शिक्षा के क्षेत्र से उठाते हैं तो विषमता-भयावहता पर काबू पा सकेंगे.

श्री राय ने कहा कि अपने घरों में हम सफाई तो करते हैं पर उस कूड़े को दरवाजे या खिड़की से बाहर फेंक देते हैं. वह कूड़ा नाली में चला जाता है. हम अपना घर तो साफ कर रहे हैं लेकिन पर्यावरण को गंदा कर रहे हैं. बेसिक्स पर ध्यान देंगे तो समस्या का समाधान होगा. शुरुआत हमें खुद ही करनी होगी. तभी हम पर्यावरण संकट का सामना कर पाने की स्थिति में होंगे.

 

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