सोशल संवाद/जमशेदपुर: समाहरणालय सभागार, जमशेदपुर में एडीएम लॉ एंड ऑर्डर नन्दकिशोर लाल की अध्यक्षता में जिला स्वास्थ्य समिति की बैठक आयोजित हुई। निदेशक डीआरडीए सौरभ सिन्हा, सिविल सर्जन डॉ साहिर पाल, जिला यक्ष्मा पदाधिकारी डॉ मृत्युंजय धावड़िया तथा सभी एमओआईसी व अन्य पदाधिकारी मौजूद रहे।
बैठक में नवंबर माह में कितने मरीज सरकारी अस्पतालों में आए, कितने एमजीएम रेफर हुए इसकी समीक्षा की गई। साथ ही परिवार नियोजन, संस्थागत प्रसव, प्रसव पूर्व जांच, प्रतिदिन का ओपीडी एवं आईपीडी की समीक्षा तथा कुपोषण उपचार, आयुष्मान भारत की समीक्षा की गई।
सिविल सर्जन ने जानकारी दी कि नवंबर माह में सदर अस्पताल तथा सभी प्रखंडों के सीएचसी के ओपीडी/आईपीडी में कुल 29102 मरीज आए जिनमें सिर्फ 170 मरीज ही एमजीएम रेफर किए गए। एडीएम लॉ एंड ऑर्डर ने कहा कि रेफरल के मामलों में कमी आने से एमजीएम का भार कम होगा, तथा एमजीएम आने वाले गंभीर मरीजों को बेहतर चिकित्सीय सुविधा उपलब्ध कराने में सहूलियत होगी।
उन्होने कहा कि प्रखंडों में स्वास्थ्य व्यवस्था को सुदृढ़ रखने से लोगों को अनावश्यक छोटी समस्याओं के लिए शहर के निजी अस्पताल व एमजीएम तथा सदर अस्पताल नहीं आना पड़ेगा। पुरूष नसबंदी पखवाड़ा के दौरान उपलब्धि संतोषजनक नहीं पाई गई। सही समय पर लाभार्थी को प्रोत्साहन राशि के भुगतान का निर्देश दिया गया। संस्थागत प्रसव में मुसाबनी, पोटका, पटमदा व बहरागोड़ा में 80 फीसदी से कम उपलब्धि रही इसे शत प्रतिशत करने का निर्देश दिया गया।
सुदूर ग्रामीण क्षेत्रों में भी स्वास्थ्य सेवाओं की पहुंच सुनिश्चित करते हुए निरंतर लोगों के बीच संस्थागत प्रसव के प्रति जागरूकता लाने तथा प्रसव पूर्व जांच को सुनिश्चित करने का निर्देश दिया गया। जिले के कुल 5 कुपोषण उपचार केन्द्रों में नवंबर माह में 81 कुपोषित बच्चों को भर्ती किया गया जिनमें 51 को सफलतापूर्वक उपचार के बाद छुट्टी दे दी गई। मलेरिया, टीबी उन्मूलन आदि की भी समीक्षा कर जरूरी दिशा-निर्देश दिए गए।
सभी एमओआईसी, डीपीएम, डीपीसी, डीडीएम, डब्लूएचओ के प्रतिनिधि सहित सभी सम्बन्धित पदाधिकारी एवं कर्मी उपस्थित थे।