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भारतीय संविधान दिवस के अवसर पर विद्या भारती चिन्मय विद्यालय में लेजिस्क्रिप्टिका’- मॉक पार्लियामेंट कार्यक्रम आयोजित

By Goutam

Published on:

 

विद्या भारती चिन्मय विद्यालय

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जनसंवाद, जमशेदपुर: टेल्को स्थित विद्या भारती चिन्मय विद्यालय के प्रांगण में बुधवार, 26 नवंबर को भारतीय नागरिकों के लिए न्याय, सत्यता, स्वतंत्रता, समरूपता एवं भ्रातृत्व प्रदान करने वाले भारत के सर्वोच्च विधान के स्वीकृति दिवस के अवसर पर अपने संविधान के मूल्यों को आगे बढ़ाने और अपने देश में शांति, उन्नति और समृद्धि को सुनिश्चित करने के उद्देश्य  से ‘लेजिस्क्रिप्टिका’- मॉक पार्लियामेंट कार्यक्रम का आयोजन किया गया।
मॉक पार्लियामेंट संसदीय कार्यवाही का अनुकरण है, जो छात्रों को विधायी निकायों और लोकतांत्रिक प्रक्रिया के कामकाज को समझने में सक्षम बनाता है।  विद्यालय प्रबंध समिति के सचिव विष्णु चंद्र दीक्षित एवं प्राचार्या मीना विल्खू के सतत् मार्गदर्शन, दूरदर्शिता व प्रोत्साहन से प्रेरित 12वीं के विद्यार्थियों द्वारा ‘लेजिस्क्रिप्टिका’ – मॉक पार्लियामेंट कार्यक्रम का निर्बाध क्रियान्वयन मानविकी संकाय के शिक्षक आयोजकों के मार्गदर्शन व प्रयासों से सफल हुआ। कक्षा 10वीं और  11वीं  के लगभग पचास छात्रों ने सत्तारूढ़ दल या विपक्ष के सदस्यों के रूप में विभिन्न राज्यों का प्रतिनिधित्व करते हुए सक्रिय रूप से भाग लिया। प्रस्तावित विधेयक, “संघीय कार्यकारिणी के पद के लिए न्यूनतम योग्यता” पर आकर्षक चर्चाओं के माध्यम से, प्रतिभागियों ने उल्लेखनीय संयम और ज्ञान का प्रदर्शन किया।
‘लेजिस्क्रिप्टिका’ में भाग लेकर छात्रों ने अपनी आलोचनात्मक सोच, वक्तृत्व और निर्णय लेने के कौशल को बढ़ाया। इस मॉक पार्लियामेंट ने न केवल संविधान का पर्व मनाया, बल्कि युवा दिमागों को भारतीय संविधान के कामकाज की सराहना करने के लिए प्रेरित किया, जिससे नागरिक जिम्मेदारी की भावना को बढ़ावा मिला।
दिवस विशेष को रेखांकित करते हुए 11वीं कक्षा की छात्रा द्वारा संविधान सभा के सदस्यों और उनके योगदान पर वक्तव्य दिया गया। पीए प्रणाली के माध्यम से प्रस्तावना पढ़ा गया।
विद्यालय प्राचार्या मीना विल्खू के अनुसार इस प्रकार की गतिविधि द्वारा विद्यार्थी प्रतिभागियों को तर्क-वितर्क में भाग लेने, अपने सार्वजनिक भाषण कौशल को निखारने और शासन और नीति निर्माण की गहरी समझ विकसित करने के साथ-साथ संविधान को समझने और लोकतंत्र के सच्चे सार को आत्मसात करने के लिए एक समृद्ध मंच दिया जाना आवश्यक है।

 

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