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खरसावां : वैदिक मंत्रोच्चारण के साथ प्रभु जगन्नाथ का नेत्र उत्सव, उमड़ी भक्तों की भीड़, भक्तों ने किये प्रभु जगन्नाथ के नव यौवन रुप के दर्शन…

By Balram Panda

Published on:

 

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खरसावां / Umakant Kar : गुरुवार को प्रभु जगन्नाथ, बलभद्र व देवी सुभद्रा का नेत्र उत्सव संपन्न हुआ. खरसावां, हरिभंजा, सीनी पोटोबेडा, छोटाचाकडी, बंदोलोहर आदि जगन्नाथ मंदिरों में भी नेत्र उत्सव पर विशेष आयोजन किया गया. हरिभंजा में भंडारा का आयोजन कर सैकड़ों भक्तों में प्रसाद का वितरण किया गया. काफी संख्या में भक्त यहां पहुंच कर कतारबद्ध हो कर प्रसाद सेवन किये. इस दौरान भक्तों के समागम, जय जगन्नाथ की जयघोष, शंखध्वनी व पारंपरिक उलध्वनी (हुलहुली) के बीच भक्तों को चतुर्था मूर्ति के अलौकिक नव यौवन रुप के दर्शन भी हुए. हरिभंजा स्थित जगन्नाथ मंदिर में गुरुवार को प्रभु जगन्नाथ, बलभद्र, देवी सुभद्रा व सुदर्शन का नेत्र उत्सव किया गया. 15 दिनों के एकांतवास से बाहर निकाल कर प्रभु जगन्नाथ अपने भाई-बहन के साथ भक्तों को दर्शन दिये. मंदिर के अणसर गृह में इलाजरत चतुर्था मूर्ति ( प्रभु जगन्नाथ, बलभद्र, देवी सुभद्रा व सुदर्शन) स्वस्थ्य हो कर भक्तों को नये कलेवर में दर्शन दिये. इसे प्रभु के नव यौवन रुप कहा जाता है.

मौके पर पुरोहित पं प्रदीप कुमार दाश, भरत त्रिपाठी ने पूजा अर्चना की, जबकि यजमान के रुप में जमीनदार विद्या विनोद सिंहदेव, राजेश सिंहदेव, पृथ्वीराज सिंहदेव मौजूद रहे. नेत्र उत्सव को रथ यात्रा का प्रथम व महत्वपूर्ण धार्मिक अनुष्ठान माना जाता है. शुक्रवार को एक पखवाडे के बाद खरसावां जिला के सभी जगन्नाथ मंदिर के कपाट खुले. 15 दिनों तक मंदिर के अणसर गृह में रहने के बाद चतुर्था मूर्ति बाहर निकल कर भक्तों को दर्शन किये. प्रभु जगन्नाथ, बलभद्र, सुभद्रा व सुदर्शन के दर्शन को बड़ी संख्या में भक्त मंदिरों में पहुंचे थे. मौके पर चतुर्था मूर्ति का विशेष श्रंगार किया गया था.इस मौके पर मंदिरों में विशेष पूजा अर्चना की गयी. .

 

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