जमशेदपुर / Balram Panda: राजद प्रदेश महासचिव सह पूर्वी सिंहभूम के प्रभारी पुरेंद्र नारायण सिंह ने पार्टी के वरिष्ठ नेता राधे प्रसाद यादव के निधन पर गहरी शोक संवेदना व्यक्त करते हुए कहा कि राधे यादव कोल्हान में राष्ट्रीय जनता दल और सामाजिक न्याय की लड़ाई के मजबूत स्तंभ थे. उनके असामयिक निधन से कोल्हान में सामाजिक न्याय की आवाज़ को अपूरणीय क्षति हुई है.
उन्होंने कहा, “मैं 1990 से राधे यादव जी का अनुयायी, उनका हनुमान रहा हूं. उनके सिद्धांत, विचार और सपनों को लेकर जमशेदपुर पूर्वी विधानसभा क्षेत्र में कार्य करता रहूंगा. उनकी राजनीतिक और सामाजिक यात्रा को मैं कभी थमने नहीं दूंगा, उसे और आगे बढ़ाऊंगा.”
पुरेंद्र सिंह ने भावुक होकर कहा कि राधे यादव न केवल उनके राजनीतिक गुरु थे, बल्कि उनके अभिभावक समान भी थे. उनके निधन से मुझे व्यक्तिगत क्षति पहुंची है. ईश्वर दिवंगत आत्मा को अपने श्रीचरणों में स्थान दें और उनके परिवारजनों, मित्रों एवं सहयोगियों को यह दुख सहने की शक्ति प्रदान करें.
82 वर्ष की उम्र में हुआ निधन, आज हुआ अंतिम संस्कार
राधे प्रसाद यादव का निधन 82 वर्ष की आयु में हो गया। वे मूल रूप से बंगरा, सिवान (बिहार) के निवासी थे। उन्होंने अपने पीछे भरा-पूरा परिवार छोड़ा है जिसमें एक पुत्र, दो पुत्रियां, नाती-पोते शामिल हैं.
उनका अंतिम संस्कार सोमवार दोपहर 3:00 बजे स्वर्णरेखा बर्निंग घाट में संपन्न हुआ. मुखाग्नि उनके पुत्र सुनील कुमार यादव ने दी.
राजनीतिक जीवन में रहा सक्रिय योगदान
राधे यादव ने 1995 और 2000 में जनता दल के टिकट पर जमशेदपुर पूर्व विधानसभा से चुनाव लड़ा था. वे जिला 20 सूत्री कार्यक्रम के उपाध्यक्ष, जेल कमेटी एवं अन्य कई सरकारी समितियों के सक्रिय सदस्य रहे थे. सामाजिक न्याय और गरीबों की आवाज़ को वे अंतिम सांस तक उठाते रहे.
हजारों लोगों ने दी अंतिम विदाई
उनकी अंतिम यात्रा में विभिन्न राजनीतिक दलों, सामाजिक संगठनों और आम जनता से जुड़े हजारों लोगों ने भाग लिया. प्रमुख उपस्थित लोगों में जमशेदपुर पश्चिम विधायक श्री सरयू राय, आदित्यपुर नगर परिषद के पूर्व उपाध्यक्ष पुरेंद्र नारायण सिंह, समाजसेवी चंद्रगुप्त सिंह, कांग्रेस नेता आनंद बिहारी दुबे, सत्य प्रकाश सुधांशु, अधिवक्ता संजय कुमार, त्रिभुवन यादव, राजद नेता रामजी शर्मा, शारदा देवी, विजय ठाकुर, प्रकाश यादव, रमेश राय सहित दर्जनों गणमान्य लोग शामिल थे.
राधे यादव के जाने से कोल्हान की राजनीति में जो शून्यता आई है, उसे भरना असंभव है। सामाजिक न्याय की जो मशाल उन्होंने जलाई, वह पीढ़ियों तक पथ प्रदर्शक बनी रहेगी.