जनसंवाद डेस्क: चतुर्मास का हिंदू धर्म में विशेष महत्व है। ये चार महीने ऐसे होते हैं, जब विष्णु भगवान क्षीर सागर में निंद्रा के लिए जाते हैं। हिंदू पंचांग के अनुसार, चतुर्मास आषाढ़ मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी से शुरू होकर कार्तिक मास की शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि तक रहता है। साल 2023 में चतुर्मास 29 जून से शुरू हो रहा है। हर साल देवशयनी एकादशी पर देव सो जाते हैं। हर साल चतुर्मास 4 महीने का होता है, लेकिन इस बार चतुर्मास 5 महीने का है। इस बार सावन भी दो महीने का होगा। अधिकमास के कारण ऐसा है। देवशयनी एकादशी के दिन से इस बार 5 महीने के लिए विष्णु योग निंद्रा में जाएंगे।
इन पांच महीनों में शंकर जी सृष्टि का संचालन करेंगे। इसके बाद देवोत्थान एकादशी है के दिन से देव उठ जाएंगे और फिर से भगवान विष्णु सृष्टि का संचालन करेंगे। इन पांच महीनों में कोई भी शुभ कार्य, विवाह आदि नहीं किए जाते हैं। विवाह, मुंडन, जनेऊ आदि 29 जून के बाद से पांच महीने तक नहीं होंगे। मान्यता है कि इस दौरान मांगलिक कार्य करने से भगवान का आशीर्वाद नहीं मिलता है।
चतुर्मास का पहला महीना सावन होता है। इस पूरे महीने में भगवान शंकर की अराधना की जाती है। यह समय कई पर्वों से युक्त होता है।गणेश चतुर्थी और कृष्ण जन्माष्टमी, नवरात्र और दशहरा भी चतुर्मास में ही मनाया जाता है। इसके बाद दिवाली का त्योहार और फिर देवोत्थान एकादशी मनाई जाती है, तब से शुभ कार्य और विवाह आदि शुरू होते हैं।