गया / Balram Panda : हिंदू धर्म के मुताबिक, इस साल पिंड दान 17 सितंबर से शुरू होकर 2 अक्टूबर तक चल रहा है. इस अवधि में पूर्वजों का पिंडदान और श्राद्ध कर्म किया जाता है. पूर्वजों की आत्मा की शांति और उनको मोक्ष प्रदान करने के लिए हिन्दू धर्म में पिंडदान को एक मुख्य कार्य माना गया है. हिंदू धर्म में मृत्यु के बाद कई तरह के कर्मकाण्ड किए जाते हैं, जिसमें श्राद्ध, अस्थि विसर्जन और पिंडदान से जुड़े रिवाज शामिल हैं.
बता दे यह सब पूर्वजों या मृतक परिजन का आत्मा की शांति और मोक्ष की प्राप्ति के उद्देश्य से मनाते हैं. पिंडदान भी ऐसी ही एक रस्म है. माना जाता है कि भगवान ब्रह्मा ने इस प्रथा की शुरुआत की थी. भारत में कई ऐसी जगहें हैं, जो आत्मा को मोक्ष दिलाने के लिए मृतक के श्राद्ध कर्म और पिंड दान के लिए उपयुक्त मानी जाती हैं. हरिद्वार से लेकर संगम और गया से लेकर बद्रीनाथ तक में आप पिंडदान कर सकते हैं.
पिंडदान के लिए महत्वपूर्ण जगह एक गया भी माना जाता हैं, बिहार का गया पूर्वजों के पिंडदान और श्राद्ध कर्म के लिए सबसे बड़े और महत्वपूर्ण स्थानों में शामिल है. माना जाता है कि फल्गु नदी के तट पर भगवान विष्णु के अवतार हैं. इस पवित्र नदी में डुबकी लगाने से पाप दूर होते हैं और इस पवित्र स्थान पर पिंडदान से पूर्वजों को दुखों से मुक्ति मिल जाती है. यदि आप गया से है और आप अपने पूर्वजों के लिए पिंड दान कराना चाहते है तो प्रसिद्ध पंडित पप्पू पांडेय से करे संपर्क, जिनका संपर्क सूत्र:-062058 63012 पर बात कर सकते है.