जनसंवाद,सरायकेला/गम्हरिया(अमन ओझा):सरायकेला खरसावां जिला के विभिन्न स्थान पर पूजा पाठ कर बड़े ही विधि विधान के साथ महिलाओं द्वारा जीवित्पुत्रिका का व्रत किया गया। हिंदू धर्म में जितिया व्रत जिसे जीवित्पुत्रिका व्रत के नाम से भी जाना जाता है विशेष रूप से माता द्वारा अपनी संतान की लंबी उम्र अच्छे स्वास्थ्य और अच्छे कल्याण के लिए किया जाता है। यह व्रत आश्विन माह की कृष्ण पक्ष अष्टमी को रखा जाता है। यह व्रत संतान की सुरक्षा और समृद्धि के लिए निर्जला उपवास के रूप में किया जाता है जिसमें महिलाएं पूरे दिन बिना अन्य पाणिग्रहण किए उपवास करती है। जितिया व्रत का धार्मिक और सामाजिक दृष्टि से अत्यधिक महत्व है। ऐसा माना जाता है कि इस व्रत को करने से संतान की आयु लंबी होती है और वह जीवन में स्वास्थ्य और समृद्धि प्राप्त करते हैं। इसके अलावा इस व्रत के पुण्य प्रभाव से वह महिलाएं भी संतान प्राप्त करती है जिनकी संतान की कामना होती है। संतान की सुरक्षा और उनके बेहतर भविष्य के लिए जितिया व्रत एक महत्वपूर्ण साधन माना जाता है। जितिया व्रत की परंपरा मुख्य रूप से बिहार उत्तर प्रदेश झारखंड और मिथिला क्षेत्र में अधिक प्रचलित है इस व्रत का आरंभ नहाए खाए से होता है जिसमें महिलाएं व्रत से एक दिन पहले पवित्र स्नान करके पूजा पाठ करती हैं और फिर सात्विक भोजन ग्रहण करती है। इस दिन प्याज लहसुन और मांसाहार का सेवन वर्जित होता है। अगले दिन महिलाएं सरगी उटांगन करती है यानी सुबह भोजन ग्रहण करती है ताकि वह पूरे दिन निर्जला व्रत कर सके। अष्टमी तिथि को वह निर्जला व्रत रखती है और अष्टमी समाप्त होने के बाद पारण करती हैं। जितिया व्रत का पारण अष्टमी तिथि समाप्त होने के बाद किया जाता है। पारण करते समय महिलाएं सबसे पहले जल ग्रहण करती है और फिर अन्य सात्विक भोजन ग्रहण करती है। जितिया व्रत के पीछे एक प्रमुख धार्मिक कथा जुड़ी हुई है। पौराणिक कथा के अनुसार राजा जीवन वाहन ने अपनी संतान की रक्षा के लिए अपने प्राणों का बलिदान दिया था। उन्होंने गरुड़ के सामने खुद को प्रस्तुत किया ताकि नागराज की संतान सुरक्षित रह सके। उनके इस महान त्याग से प्रभावित होकर जितिया व्रत की परंपरा शुरू हुई। इस व्रत के माध्यम से महिलाएं अपनी संतान की सुरक्षा और सुख समृद्धि की कामना करती है।
बड़े ही विधि-विधान के साथ मनाया गया जितिया का पर्व, माताओं द्वारा संतान की लंबी उम्र के लिए की गई कामना।
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