सोशल संवाद डेस्क: राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन के महानिदेशक श्री जी अशोक कुमार की अध्यक्षता में 22 फरवरी 2023 को कार्यकारी समिति की 47वीं बैठक आयोजित की गई। बैठक के दौरान, मंजूर की गई कुल 9 परियोजनाओं में से 7 परियोजनाएं गंगा बेसिन में प्रदूषण को कम करने, 2 परियोजनाएं घाट के विकास और 1 गंगा नदी के जियो मैपिंग से संबंधित हैं। जिनकी लागत 1278 करोड़ रुपये है।
बैठक में एनएमसीजी के ईडी (प्रोजेक्ट) हिमांशु बडोनी, ईडी (तकनीकी) डीपी मथुरिया, ईडी (एडमिन) एसपी वशिष्ठ, ईडी (फाइनेंस) भास्कर दासगुप्ता और जल संसाधन विभाग, नदी विकास और गंगा कायाकल्प विभाग जल शक्ति मंत्रालय की ऋचा मिश्रा समेत एनएमसीजी के वरिष्ठ अधिकारी भी उपस्थित थे।
गंगा नदी के में स्टेम,पश्चिम बंगाल के चकदहा नगर पालिका में 123.02 रुपये की एक अन्य परियोजना को भी मंजूरी दी गयी है। जिसके अंतर्गत 13 एमएलडी एसटीपी और 300 केएलडी विकेंद्रीकृत एसटीपी का निर्माण किया जाना है।
उत्तर प्रदेश में प्रयागराज के सलोरी में 324.35 करोड़ रुपये की अनुमानित लागत से 14 एमएलडी के मौजूदा एसटीपी की सीवेज उपचार क्षमता को बढ़ाकर 43 एमएलडी किए जाने की परियोजना को मंजूरी दी गई है। इस परियोजना से 13 नालों को रोकने और डाइवर्ट करने में मदद मिलेगी। 20 केएलडी फीकल स्लज को-ट्रीटमेंट सुविधा का निर्माण भी इस परियोजना का हिस्सा है।
वहीं, मुजफ्फरनगर, मेरठ, हापुड़ और बुलंदशहर में 8 स्थानों पर इन-सीटू कंस्ट्रक्टेड वेटलैंड सिस्टम के विकास द्वारा काली नदी के कायाकल्प से संबंधित एक अन्य परियोजना को भी मंजूरी दी गई है। जिसकी लागत 95.47 करोड़ रुपये है। वेटलैंड निर्माण में एक स्थान पर जलमार्ग के अंदर ऑक्सीकरण, निस्पंदन खंडों के साथ-साथ वृक्षारोपण विकसित करके क्षैतिज और ऊर्ध्वाधर निस्पंदन की व्यवस्था करना शामिल है। इस पद्धति द्वारा नदी के आकारिकी में कोई परिवर्तन नहीं होगा, और बाढ़ के दौरान पानी के रास्ते में कोई बाधा नहीं आएगी। फतेहपुर में नागेश्वर धाम आश्रम घाट के विकास के लिए 2.84 करोड़ रुपए की परियोजना को मंजूरी दी गई है
बिहार के लखीसराय में 94.12 करोड़ रुपये की अनुमानित लागत से गंगा नदी में प्रदूषण कम करने के लिए दो सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट (10.91 एमएलडी और 10.66 एमएलडी) के विकास की एक परियोजना को भी मंजूरी दी गई है। बिहार में घाट विकास के लिए अटल घाट मांझी, सारण के विकास की एक परियोजना को भी मंजूरी दी गई, जिसकी अनुमानित लागत 10.04 करोड़ रुपये है। अटल घाट परियोजना में स्नान के लिए घाट क्षेत्र का विकास, सुविधाएं, पूजा और अन्य धार्मिक गतिविधियों के लिए जगह, पीने के पानी स्थान, रात के लिए फ्लड लाइट, श्राद्ध पूजा और मुंडन के लिए जगह, भूनिर्माण और कचरे को अलग करने के लिए गीले और सूखे कूड़ेदान शामिल हैं।
मध्य प्रदेश की कार्यकारिणी समिति के समक्ष अनुमोदन के लिए दो परियोजनाएँ रखी गईं, जिनमें से इंदौर में कहन और सरस्वती नदियों के प्रदूषण को कम करने के लिए 511.15 करोड़ रुपये की एक बड़ी परियोजना स्वीकृत की गई। इस परियोजना में 120 एमएलडी, 40 एमएलडी और 35 एमएलडी क्षमता के एसटीपी के निर्माण की परिकल्पना की गई है। इस परियोजना का महत्वपूर्ण घटक 120 एमएलडी और 35 एमएलडी क्षमता वाले एसटीपी के साथ ‘उपचारित जल पुन: उपयोग नेटवर्क’ का निर्माण है। मध्य प्रदेश में एक अन्य प्रस्तावित परियोजना क्षिप्रा नदी में प्रदूषण निवारण के लिए 92.78 करोड़ रुपये की अनुमानित लागत से उज्जैन शहर में 22 एमएलडी एसटीपी और 2.35 एमएलडी अपशिष्ट उपचार संयंत्र के निर्माण के लिए थी। हालाँकि, इस परियोजना को अभी और स्पष्टीकरण के लिए संदर्भित किया गया है।
औद्योगिक प्रदूषण को रोकने के लिए गंगा बेसिन में प्रदूषण आविष्कार, आकलन और निगरानी (PIAS) नामक एक परियोजना को मंजूरी दी गई है। जिसकी अनुमानित लागत 114.42 करोड़ रुपये है। इस परियोजना में इन्वेंट्री का वार्षिक अद्यतन, तीसरे पक्ष द्वारा जीपीआई का वार्षिक निरीक्षण, सीपीसीबी द्वारा जीपीआई का वार्षिक निरीक्षण, अत्यधिक प्रदूषणकारी उद्योगों और औद्योगिक समूहों द्वारा दूषित नालों की निगरानी, नालों की निगरानी, एसटीपी की निगरानी, सीईटीपी की निगरानी, ऑनलाइन सतत उत्सर्जन निगरानी प्रणाली, डैशबोर्ड/आईटी पोर्टल निगरानी की परिकल्पना की गई है।
प्रकृति आधारित उपचार द्वारा शाहदरा नाले के कायाकल्प और संरक्षण के लिए इन्वेस्टीगेशन फॉर नेचर-बेस्ड ट्रीटमेंट- सॉयल बायोटेक्नोलॉजी (एसबीटी) नामक अपनी तरह की पहली परियोजना को भी मंजूरी दी गई है। जिसकी अनुमानित लागत 1.9 करोड़ रुपए है। परियोजना में ड्रोन सर्वेक्षण, बाथमीट्रिक सर्वेक्षण, फील्ड सर्वेक्षण/डेटा संग्रह और इनलेट ड्रेन डिस्चार्ज की जांच, जल गुणवत्ता और परीक्षण और मिट्टी/कीचड़ गुणों की परिकल्पना की गई है।