जनसंवाद डेस्क: विधायक सरयू राय ने आज जमशेदपुर में डेंगू महामारी पर एमजीएम अस्पताल के वरीय चिकित्सकों के साथ विस्तार से चर्चा की. इसके बाद राय ने कहा कि डेंगू महामारी की प्रकृति, इसके फैलाव और इस संबंध में जनता के बीच फैल रही दहशत के बारे में एक स्पष्ट वक्तव्य सार्वजनिक रूप से देना चाहिए. सरकार द्वारा इस बारे में सफ़ाई नहीं देने से जनता मे भ्रमजनित भय उत्पन्न हो रहा है और अस्पतालों पर अनावश्यक दबाव बढ़ रहा है.
उन्होंने बताया कि वे विगत तीन दिनों से एमजीएम और टीएमएच जा रहे हैं और देख रहे हैं कि वहाँ के सभी वार्ड डेंगू के मरीज़ों से भरे पड़े हैं. एमजीएम इमरजेंसी में जगह नहीं होने के कारण मरीज़ कुर्सियों पर और फ़र्श पर बैठकर इलाज करा रहे हैं. चिकित्सा सुविधाओं के अभाव में सारी नाराज़गी चिकित्सकों तो झेलनी पड़ रही है. मेरे पास रोज ऐसे चित्र भेजे जा रहे हैं. इस बारे मे मैने एमजीएम, टीएमएच और सदर अस्पताल के सिविल सर्जन तथा जेएनएसी के पूर्व विशेष पदाधिकारी से भी बात किया और इस निष्कर्ष पर पहुँचा कि डेंगू की चिकित्सा और रोकथाम के बारे में फेंका फेंकी चल रही है.
श्री राय ने कहा कि सरकार स्वास्थ्य संबंधी नीतिगत विकलांगता का शिकार हो गई है. मंत्रालय पंगु हो गया है. मंत्री और सचिव स्थिति स्पष्ट नहीं कर रहे हैं. उन्हें बताना चाहिए कि वर्तमान डेंगू और पहले के डेंगू में क्या अंतर है. इस डेंगू में क्या सावधानी बरतनी ज़रूरी है. यह डेंगू कितना जानलेवा है और कितना सामान्य है. प्लेटलेट्स घट जाने पर दहशत के बिना इलाज कैसे कराया जाय. डेंगू और वायरस बुख़ार में कितना फ़र्क़ है. वायरल बुख़ार से कैसे निपटें आदिआदि. चिकित्सकों से वार्ता के उपरांत मैं इस निष्कर्ष पर पहुँचा हूँ कि अस्पतालों से मिल रही सूचनाओं को स्वास्थ्य विभाग जनता तक पहुँचाए.
उन्होंने जेएनएसी के अधिकारियों द्वारा विजया गार्डेन में, बाज़ारों में जाकर फ़ाईन काटने को अव्यवहारिक बताया है और कहा है कि प्रशासन का रवैया सुधारात्मक होनी चाहिए दंडात्मक नहीं. उन्हें अपने कर्तव्य का भी ध्यान रखना चाहिए.