जनसंवाद, जमशेदपुर: नारायण प्राइवेट आईटीआई लूपुंगडीह चांडिल में सोमवार को भारत रत्न जहाँगीर रतनजी दादाभाई टाटा की 120वीं जयंती मनाई गई। इस दौरान उनकी प्रतिमा पर माल्यार्पण कर उन्हें याद करते हुए श्रद्धा सुमन अर्पित किया गया।
इस दौरान मौके पर मौजूद संस्थान के संस्थापक डॉक्टर जटाशंकर पांडे ने कहा कि जहाँगीर रतनजी दादाभाई टाटा का जन्म 29 जुलाई 1904 को पेरिस में हुई थी। वे उद्योग और अन्य उद्योगो के अग्रणी थे। वो अपने सहृदयता और उदारता के साथ ही देश में हवाई उड़ान से लेकर कारपोरेट जगत की शुचिता के लिए जाने जाते थे।
उन्होंने बताया कि जेआरडी टाटा रतनजी दादाभाई टाटा और उनकी फ्रांसीसी पत्नी सुज़ेन्न ब्रीरे के पांच संतानो मे से दुसरे थे। वे प्रारंभिक शिक्षा पूरी होने के बाद फ्रांस की सेना में शामिल हो गये। लेकिन उनको पारिवारिक विरासत को संभालने के लिए भारत आना पड़ा। वे दशको तक टाटा ग्रुप के निर्देशक रहे और इस्पात, इंजीनीयरींग, होट्ल, वायुयान और अन्य उद्योगो का भारत मे विकास किया।
श्री पांडेय ने बताया कि जेआरडी टाटा ने टाटा एयरलाइंस शुरू की। भारत के लिए महान इंजीनियरिंग कंपनी खोलने के सपने के साथ उन्होंने टेल्को की शूरूआत की जो मूलतः इंजीनियरिंग और लोकोमोटिव के लिए थी। उन्हें 1955 में पद्म विभूषण और 1992 में भारत रत्न से सम्मनित किया गया।
इस दौरान मुख्य रूप से उपस्थित ऐडवोकेट निखिल कुमार, शांती राम महतो, पवन कुमार महतो, कृष्ण चंद्र महतो, देव कृष्णा महतो, अजय कुमार मंडल, गौरव महतो आदि ने भी जेआरडी टाटा की तस्वीर पर पुष्प अर्पित कर उन्हें नमन किया।