जनसंवाद, जमशेदपुर : जनजातीय भूमिज भाषा को झारखंड शिक्षक पात्रता परीक्षा-2024 एवं जेएसससी की और से ली जानेवाली प्रतियोगिता परीक्षा में शामिल करने की मांग को पोटका के विधायक संजीव सरदार एवं मझगांव के विधायक नीरल पूर्ती में विधानसभा के ध्यानाकर्षण सवाल में रखी.
सवाल में कहा गया कि राज्य भूमिज भाषा अति प्राचीन भाषा है, जो राज्य के द्वितीय भाषा के रूप में अधिसूचित है. जैक द्वारा आयोजित जेटेट परीक्षा-2012, 2016 के अलावा जेएसएससी की और से ली गयी वनरक्षी प्रतियोगिता परीक्षा-2014, कक्षपाल प्रतियोगिता परीक्षा-2015 आदि में शामिल किया गया था, लेकिन 2023 के बाद के जनजातीय/क्षेत्रीय भाषा पत्र-2 में एवं अन्य प्रतियोगिता में हटा दिया गया है. अतः 2023 के जेटेट एवं अन्य प्रतियोगिता परीक्षा में भूमिज भाषा को शामिल किया जाय.
इस मामले में सरकार ने जबाव देते हुये माना कि झारखंड शिक्षक पात्रता परीक्षा-2012 एवं राष्ट्रीय शिक्षक पात्रता परीक्षा के अनुरूप वर्ष 2019 में झारखंड प्रारंभिक विद्यालय शिक्षक नियुक्ति नियमावली के स्थान पर स्वतंत्र रूप से गठित झारखंड शिक्षक पात्रता परीक्षा-2019 में भी अंकित जिलावार जनजातीय/क्षेत्रीय भाषाओं में प. सिंहभूम, पूर्वी सिंहभूम एवं सरायकेला-खरसावां में भूमिज शामिल था. वर्ष 2022 में गठित झारखंड प्रारंभिक विद्यालय सहायक आचार्य संवर्ग नियमावली 2022 के प्रावधानों को दृष्टिपथ में रखते हुये 2024 जेटेट नियमावली-2019 में कतिपय संसोधित किये गये थे, जिसमे कार्मिक, प्रशासनिक सुधार एवं राजभाषा विभाग द्वारा अधिसूचित 15 भाषाओं को शामिल किया गया.
राज्य सरकार जेटेट नियमावली 2015 के अंतर्गत भूमिज भाषा को पुनः शामिल करने का विषयक मामला प्रकियाधीन है, इसके पूर्व सरकार एक राज्य स्तरीय टीम का गठन करेगी जो सरकार को अपना प्रतिवेदन देगी, जिसके पश्चात भूमिज भाषा को शामिल कर लिया जायेगा.