जनसंवाद, खरसावां (उमाकांत कर) : कुचाई प्रखंड के सेरेंगदा गांव में प्रथम वर्षीय वनाधिकार बोर्डगाड़ी स्थापना कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इस मौके पर झमाझम बारिश के बीच भी ग्रामीणों और नेताओं का उत्साह कम नहीं हुआ। कार्यक्रम की अगुवाई सामुदायिक वन संसाधन प्रबंधन समिति के अध्यक्ष सुकरा सरदार ने की।
इस दौरान खरसावां विधायक दशरथ गागराई पैदल चलकर लगभग डेढ़ किलोमीटर दूर जंगल पहुंचे और पत्थर गाड़ी बोर्डगाड़ी की पूजा-अर्चना कर उद्घाटन किया। उन्होंने कहा कि जंगल के बिना आदिवासियों का जीवन अधूरा है, इसलिए वनों की रक्षा हर हाल में जरूरी है।
जंगल से जीवन, जंगल से आजीविका
विधायक गागराई ने अपने संबोधन में कहा कि जंगल हमें शुद्ध हवा देता है और वनोपज से वनाश्रित परिवारों की आजीविका चलती है। उन्होंने ग्रामीणों को जलवायु परिवर्तन और जैव विविधता संरक्षण के महत्व से अवगत कराते हुए जंगल बचाने की अपील की।
सरकार की पहल और चुनौतियाँ
उन्होंने बताया कि झारखंड सरकार ‘अबुआ वीर दिशोम अभियान’ के तहत वनाधिकारों को सशक्त बनाने के लिए कार्य कर रही है। इसके तहत वन पट्टा दावों का सृजन, स्वीकृति और वितरण की प्रक्रिया तेज की गई है, ताकि वनों पर निर्भर परिवारों को उनका कानूनी अधिकार मिल सके।
वहीं ग्रामीण प्रतिनिधियों ने कहा कि वन विभाग के कुछ पदाधिकारी सरकारी आदेशों का पालन नहीं कर रहे हैं। इस कारण सामुदायिक वनाधिकार प्रमाणपत्र वितरण में बाधा आ रही है। वक्ताओं ने मांग की कि ऐसे अधिकारियों पर सख्त कार्रवाई हो।
ग्रामीणों ने लिया संकल्प
कार्यक्रम में ग्रामीणों ने कई प्रस्ताव पारित किए, जिनमें –
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बिना अनुमति पेड़ों की कटाई नहीं होगी।
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महुआ चुनने या शिकार के नाम पर जंगल में आग नहीं लगाई जाएगी।
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जलावन के लिए केवल झाड़-झंखाड़ और सूखे पेड़ों का उपयोग होगा।
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हर साल ग्रामसभा देशी पौधों का रोपण करेगी।
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वन्य प्राणियों का शिकार पूर्ण रूप से प्रतिबंधित रहेगा।
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विनाशकारी परियोजनाओं को वन क्षेत्रों में मंजूरी नहीं दी जाएगी।
महिलाओं और समूह की भूमिका
सोहन लाल ने कहा कि वनाश्रित महिलाओं का समूह गठन कर वनोपजों के संग्रहण और उचित बाजार में विक्रय पर जोर दिया जाएगा, ताकि उन्हें सही दाम मिल सके। चिरौंजी, साल बीजा, हर्रा, बहेरा जैसे उत्पादों के लिए बाजार की व्यवस्था की गई है।
कार्यक्रम में मौजूद लोग
इस अवसर पर सोहनलाल कुम्हार, भरत सिंह मुंडा, मुखिया करम सिंह मुंडा, मुन्ना सोय, वनवारी लाल सोय, डुबराय कुम्हार, पाण्डु मुण्डा, सोनाराम सरदार, सिंगराय सरदार समेत बड़ी संख्या में ग्रामीण मौजूद थे।
नतीजा
सेरेंगदा में हुआ यह आयोजन केवल धार्मिक अनुष्ठान नहीं बल्कि जंगलों को बचाने और आने वाली पीढ़ियों के लिए सुरक्षित रखने का संकल्प भी है। बारिश में भी ग्रामीणों का जुटान और विधायक का संदेश इस बात की गवाही देता है कि आदिवासी समाज जंगल और प्रकृति को जीवन का आधार मानता है।