- जांच प्रतिवेदन मुहैया कराने का आग्रह भी किया
 - स्वास्थ्य विभाग विधायक को दिये गए आश्वासन की कर रहा अवहेलना
 
जनसंवाद, जमशेदपुर: जमशेदपुर पश्चिमी के विधायक सरयू राय ने सवाल उठाया है कि राज्य के स्वास्थ्य विभाग में ऐसा क्या चल रहा है कि विधानसभा के वरिष्ठ सदस्य होने के बावजूद भी उन्हें मांगी गई जानकारी नहीं दी जा रही है। उन्होंने कहा कि यदि सब कुछ पारदर्शी है, तो विभाग उनसे जानकारी क्यों छिपा रहा है? यह झारखंड सरकार के स्वास्थ्य विभाग की कार्य-संस्कृति पर गंभीर सवाल खड़ा करता है।
श्री राय ने इस विषय पर स्वास्थ्य, चिकित्सा शिक्षा एवं परिवार कल्याण मंत्री को पत्र लिखकर सभी दवाओं की खरीद निविदा (Tender Process) के माध्यम से करने की मांग की है ताकि पारदर्शिता बनी रहे।
उन्होंने अपने पत्र में बताया कि दवा खरीद को लेकर उन्होंने विधानसभा में कई प्रश्न पूछे थे। वर्ष 2023 में विभाग ने दवा खरीद में अनियमितता की जांच हेतु त्रिसदस्यीय समिति गठित की थी। समिति की बैठक में श्री राय को आमंत्रित किया गया था, लेकिन अध्यक्ष के तबादले के कारण रिपोर्ट नहीं बन सकी। बाद में समिति का पुनर्गठन हुआ, पर श्री राय से कभी संपर्क नहीं किया गया।
विधायक राय ने लिखा कि उन्होंने कई बार विभागीय सचिव को पत्र लिखकर जांच प्रतिवेदन (Inquiry Report) की प्रति मांगी, लेकिन आज तक उपलब्ध नहीं कराई गई। यहां तक कि सूचना का अधिकार (RTI) के तहत मांगे जाने पर भी उन्हें संतोषजनक उत्तर नहीं मिला।
उन्होंने आरोप लगाया कि विभाग ने बिना पारदर्शी प्रक्रिया के, भारत सरकार के लोक उपक्रमों से ऊंची कीमत पर दवाओं की खरीद दोबारा करने का निर्देश जारी कर दिया है। जबकि अन्य राज्यों में दवाओं की खरीद निविदा प्रणाली से प्रतिस्पर्धात्मक दर पर की जाती है।
सरयू राय ने लिखा कि दवा कंपनियां अपनी लागत से कई गुना अधिक कीमतों पर दवाएं बेचती हैं, जिसमें बिचौलियों को लाभ होता है, न कि उपभोक्ताओं को। उन्होंने इस बात पर आश्चर्य जताया कि झारखंड सरकार ने कभी इन कंपनियों से दरें घटाने के लिए बातचीत तक नहीं की।
अंत में विधायक राय ने स्वास्थ्य मंत्री से आग्रह किया कि
1️⃣ सभी प्रकार की दवाओं की खरीद निविदा प्रक्रिया से की जाए,
2️⃣ जांच समिति की रिपोर्ट उन्हें उपलब्ध कराई जाए,
3️⃣ भारत सरकार के औषधि विभाग से प्राप्त मंतव्य की प्रति भी दी जाए।
उन्होंने कहा कि विभाग का यह रवैया विधानसभा की गरिमा और जनप्रतिनिधि की जवाबदेही पर सवाल खड़ा करता है।

















