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कुड़मी संगठनों के आंदोलन के विरोध में उतरा आदिवासी समुदाय, बड़ाबांबो में किया विरोध प्रदर्शन

By Goutam

Published on:

 

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जनसंवाद, खरसावां (उमाकांत कर): आदिवासी की सूची में शामिल करने की कुडमी संगठनों की मांग का पुरजोर विरोध करते हुए आदिवासी संगठनों ने रविवार को बडाबांबो में विरोध प्रदर्शन किया। संयुक्त आदिवासी संगठन एकता मंच के बैनर तले आयोजित इस विरोध प्रदर्शन में जोरडीहा, कृष्णापुर, तेलाईडीह, आमदा पंचायत आदि क्षेत्रों से बड़ी संख्या में आदिवासी समाज के लोग शामिल हुए।

इस मौके पर आदिवासी नेताओं ने कहा कि कुडमी जाति सक्षम और सशक्त है।उन्हें अनुसूचित जनजाति में शामिल कर आदिवासियों की संवैधानिक अधिकारों का हनन है। यह आंदोलन आदिवासियों को हाशिए पर धकेलने की साजिश है। वहीं जोरडीहा पंचायत के पूर्व मुखिया मांगीलाल पुरती ने कहा कि कुडमी जाति के लोगों की यह मांग मूल आदिवासियों के आरक्षण, नौकरी, जमीन और गौरवशाली संघर्षशील आदिवासी विद्रोह के इतिहास पर कब्जा कर मूल आदिवासियों को हाशिए पर धकेलने की साजिश है।

उन्होंने कहा कि कुडमी सामुदाय कभी भी आदिवासी नहीं रहा है। और एसटी का दर्जा मिलने पर आदिवासी पहचान पर खतरा मंडराएगा। उन्होंने कहा कि कुडमी समाज का इतिहास और उनका अस्तित्व आदिवासियों से बिल्कुल अलग रहा है। कुडमी समाज के लोग गलत आधार और आदिवासी समाज से अपने अस्तित्व को जोड़कर खुद को एसटी में शामिल करने की मांग कर रहे हैं। पूर्व मुखिया मांगीलाल पुरती आगे यह भी कहा कि तुम ट्रेन रुकोगे तो हम हवाई जहाज रोक देंगे पर महतो (कुडमियों) को अनुसूचित जनजाति में शामिल नहीं होने देंगे।

इस दौरान मुख्य रूप से आमदा पंचायत के पूर्व मुखिया प्रधान माटी सोय, कृष्णपुर पंचायत के पूर्व मुखिया दशरथ सोय, जोरडीहा पंचायत के पूर्व मुखिया मांगीलाल पुरती, उपमुखिया दीपक हेम्बरम, भरत बोदरा, ईश्वर बानरा, लक्ष्म माझी आदि आदिवासी एकता मंच के महिला पुरूष उपस्थित थे।

 

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