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कुचाई वनाधिकार पत्थरगड़ी का मनाया गया 7वां स्थापना दिवस, जंगलों से जुड़ा हुआ है हमारा अस्तित्व,जंगलों को करें सुरक्षा : गागराई

By Goutam

Published on:

 

कुचाई

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जनसंवाद डेस्क, खरसावां (रिपोर्ट- उमाकांत कर):  कुचाई के कोपलोग चौक में ग्राम सभा एवं सामुदायिक वन पालन समिति भुरकुडां के सोजन्य  से गुरुवार को वनाधिकार बोर्ड गाड़ी का 7वां स्थापना दिवस मनाया गया। पारंपरिक देवरी ने वन देवता की पूजा-अर्चना किया। साथ ही पारम्परिक रीति रिवाज के तहत वनाश्रितों ने अन्तरात्मा से वन देवता को स्मरण करते हुए जीविकोपार्जन के लिए सामूहिक जंगल का सरक्षंण करने का संक्लप लिया।

वही सैकड़ो वनाश्रित महिला पुरुष ने जंगल के किनारे-किनारे पारंपरिक गाजे-बाजे के साथ पत्थरगाड़ी स्थल पहुचे। वही सांस्कृतिक वनाधिकार मेला का आयोजन किया गया था। जिसमें पारंपरिक छऊ नृत्य, मागे नृत्य कर अतिथियों का स्वागत किया। इसी खुशी में वनाधिकार कानून 2006 के तहत 29 दिसंवर 2020 को झाड़खंड ने सामुदायिक वन संसाधनो का उपयोग करने संरक्षण करने, पुनुरुज्जीवित तथा प्रबंधन करने का वनाधिकार प्रमाण-पत्र निर्गत किया है।

कार्यक्रम में मुख्य अथिति के रूप में खरसावां विधायक दशरथ गागराई ने कहा कि जंगल पर ग्रामीणों का सामूहिक अधिकार है। व्यक्तिगत पट्टे, सामुदायिक पट्टे,लघुवनोंपजो पर हक के साथ ही जंगल को बचाने व बढाने का दायित्व भी है। वनों के संरक्षण से पर्यावरण में संतुलन बना रहेगा, परंपरिक सांस्कृतिक व्यवस्था संरक्षित होगे,वनों में धनत्व में वृद्वि होगी,समय पर वर्षा होगी,जलवायु परिस्थिति संतुलन बना रहेगा,जंगल जीविकोपार्जन का माध्यम होगा, पलायन रूकेगा। उन्होने कहा कि जंगल हमारी प्राकृतिक विरासत है। इसके संरक्षण हम सबों की जिम्मेदारी है। वनाश्रितों के आर्थिक विकास के लिए जंगल को बचाना जरूरी है।

वहीं केंद्रीय सदस्य श्री कुम्हार ने कहा कि जल जंगल जमीन पर अधिकार को लेकर हम संघर्ष करते रहेगे। पर्यावरण को ध्यान में रखकर जीविकोंपार्जन हेतु वनोंपजों का उपयोग करने की अपील की। वनाश्रितों ने पेड़-पौधों को संरक्षण करने,हर साल वृक्षारोपण करने, जैव-विविधता का संरक्षण करने, वन्य प्राणियों का शिकार न करने, वनोपज तोड़ने के समय डालियों को न काटने, बिना ग्रामसभा के पेड़ न काटने, महुआ चुनने के नाम पर आग न लगाने का संदेश दिये।

वहीं ग्राम सभा सचिव भरत सिंह मुंडा ने कहा कि जंगल पर ग्रामीणों का सामूहिक अधिकार है। व्यक्तिगत पट्टे,सामुदायिक पट्टे,लघुवनोंपजो पर हक के साथ ही जंगल को बचाने व बढाने का दायित्व भी है। वनों के संरक्षण से पर्यावरण में संतुलन बना रहेगा,परंपरिक सांस्कृतिक व्यवस्था संरक्षित होगे, वनों में धनत्व में वृद्वि होगी, समय पर वर्षा होगी,जलवायु परिस्थिति संतुलन बना रहेगा, जंगल जीविकोपार्जन का माध्यम होगा,पलायन रूकेगा। उन्होने कहा कि जंगल हमारी प्राकृतिक विरासत है। इसके संरक्षण हम सबों की जिम्मेदारी है।

वनाश्रितों के आर्थिक विकास के लिए जंगल को बचाना जरूरी है। जल जंगल जमीन पर अधिकार को लेकर हम संघर्ष करते रहेगे। पर्यावरण को ध्यान में रखकर जीविकोंपार्जन हेतु वनोंपजों का उपयोग करने की अपील की। वनाश्रितों ने पेड़-पौधों को संरक्षण करने,हर साल वृक्षारोपण करने, जैव-विविधता का संरक्षण करने, वन्य प्राणियों का शिकार न करने, वनोपज तोड़ने के समय डालियों को न काटने, बिना ग्रामसभा के पेड़ न काटने, महुआ चुनने के नाम पर आग न लगाने का संदेश दिये। भुरकुंडा दिरी वीड चौक के सौंदर्यीकरण कार्य का हुआ उदघाटन

मौके पर विधायक दशरथ गागराई ने कुचाई के भुरकुंडा स्थित पारंपरिक पत्थलगड़ी स्थल भुरकुंडा दिरी वीड चौक के सौंदर्यीकरण कार्य का उदघाटन किया. विधायक योजना टीएसपी (2023-24) के तहत विधायक दशरथ गागराई के फंड से करीब 3.75 लाक की लागत से इस चौक का सौंदर्यीकरण किया गया. उन्होंने वन पालन समितियों को हर संभव सहयोग करने की बात कही. मौके पर सभी लोगों सामूहिक रूप से वन संरक्षण का संकल्प लिया गया।

इस दौरान मुख्य रूप से केन्द्रीय सदस्य सोहन लाल कुम्हार, सुखराम मुंडा,मानकी मुंडा, भरत सिंह मुंडा,शिव नाथ मुंडा,गोपाल सिंह मुंडा,राम सोय,दोलु सरदार, बबलू मुर्मू,प्रकाश भुईयां, बनवारी लाल सोय,महेश्वर उरावं, धमेन्द्र सिंह मुंड़ा,मनोज मुदूईया, जयंती मुंडा,चरण सोय,पार्वती गागराई,सोनामनी मुंडा,पालो हाईबुरू,हरिचरण सोय सहित काफी संख्या में डांगो, रेंगसा,जुगीडीह,चम्पत आदि ग्राम सभा के वनाश्रित उपस्थित थे।

 

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