जनसंवाद, खरसावां (उमाकांत कर): झारखंड में कुड़मी समुदाय द्वारा खुद को आदिवासी यानी अनुसूचित जनजाति की सूची में शामिल कराने की मांग कर रहा है। अब कुड़मी समाज के एसटी में शामिल होने की मांग का जोरदार विरोध भी शुरू हो गया है। वहीं गुरूवार को कुचाई खरसावां खुंटपानी से आदिवासी एकता मंच कुचाई समेत विभिन्न आदिवासी संगठनों एवं आदिवासी समाज के द्वारा हजारों की संख्या में महिला पुरूष पारंपरिक हथियारों के साथ जुलूस निकालकर जिला मुख्यालय के लिए रवाना हुए।
साथ ही कुडमी समाज के मांग के विरोध में जिला उपायुक्त के माध्यम से झारखंड के राज्यपाल एवं देश के राष्ट्रपति के नाम ज्ञापन सौंपा। बाइक जुलूस में उमडी भीड के कारण खरसावां चांदनी चौक लगभग एक घंटे तक जाम की स्थिति बन गई।
खरसावां-कुचाई का इलाका गुरुवार को आदिवासी एकता और अधिकार की आवाज़ से गूंज उठा। हजारों की संख्या में आदिवासी समाज के महिला-पुरुष पारंपरिक हथियारों के साथ बाइक रैली में शामिल हुए और जोरदार नारों से कुचाई से खरसावां तक का माहौल आंदोलित कर दिया।
“आदिवासी एकता जिंदाबाद”, “जो हमसे टकराएगा चूर-चूर हो जाएगा”, “जय झारखंड”, “कुड़मी महतो होश में आओ”, “आदिवासियों का हक छीना बंद करो” और “एक तीर एक कमान” जैसे गगनभेदी नारों से पूरा इलाका गूंज उठा।
रैली के दौरान वक्ताओं ने स्पष्ट कहा कि कुड़मी समाज की मांग पूरी तरह से गलत है। उनका कहना था कि आदिवासी समुदाय अपने हक और अधिकार को फर्जी आदिवासियों के बीच बंटने नहीं देगा। वक्ताओं ने यह भी जोड़ा कि कुड़मी जाति सक्षम और सशक्त है, उन्हें अनुसूचित जनजाति (ST) में शामिल करना आदिवासियों के संवैधानिक अधिकारों का हनन है।
नेताओं ने आरोप लगाया कि यह आंदोलन असली आदिवासियों को हाशिये पर धकेलने की सुनियोजित साजिश है। उनका कहना था कि कुड़मी जाति कभी भी आदिवासी नहीं रही और अगर उन्हें ST का दर्जा दिया गया तो आदिवासी पहचान पर गंभीर खतरा मंडरा जाएगा।
भीड़ को संबोधित करते हुए कई आदिवासी नेताओं ने चेतावनी दी—“तुम ट्रेन रोकोगे तो हम हवाई जहाज रोक देंगे, लेकिन महतो (कुड़मी) को अनुसूचित जनजाति में शामिल नहीं होने देंगे।”
इस विरोध कार्यक्रम में समाजसेवी बासंती गागराई, दुर्गा चरण पाडिया, जीप सदस्य कालीचरण बानरा, जींगी हेम्ब्रम, मुखिया करम सिंह मुंडा, मुखिया राम सोय, मुखिया मंगल सिंह मुंडा, धमेन्द्र सिंह मुंडा, भरत सिंह मुंडा, मान सिंह मुंडा, मनोज सोय, सुरज हेम्ब्रम, दास सोय, दशरथ उरांव, रामचंद्र सोय, सुरेश सोय, लखीराम मुंडा, पार्वती गागराई, आसू मुंडा और भोंज संगा समेत हजारों आदिवासी समाज के लोग शामिल हुए।
आंदोलनकारियों ने साफ कर दिया कि वे अपने संवैधानिक हक और गौरवशाली इतिहास की रक्षा के लिए किसी भी स्तर तक जाने को तैयार हैं।