जनसंवाद, खरसावां (उमाकांत कर): आगामी 1 जनवरी 2026 को आयोजित होने वाले खरसावां शहीद दिवस की तैयारियों और राज्य के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के प्रस्तावित आगमन को लेकर बुधवार को खरसावां पथ निरीक्षण भवन में झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) की एक महत्वपूर्ण समीक्षा बैठक आयोजित की गई। बैठक की अध्यक्षता सरायकेला-खरसावां जिला अध्यक्ष डॉ. शुभेंदु महतो ने की।
इस समीक्षा बैठक में राज्य के परिवहन मंत्री दीपक बिरूआ एवं खरसावां विधायक दशरथ गागराई विशेष रूप से उपस्थित रहे। बैठक में खरसावां विधानसभा क्षेत्र के सभी छह प्रखंडों के झामुमो कार्यकर्ता एवं पदाधिकारी शामिल हुए। शहीद दिवस की व्यवस्थाओं, श्रद्धांजलि कार्यक्रम, यातायात, पार्किंग, सुरक्षा एवं जनसुविधाओं को लेकर विस्तार से चर्चा की गई और सभी प्रखंडों से क्रमवार सुझाव लिए गए।
बैठक को संबोधित करते हुए विधायक दशरथ गागराई ने कहा कि खरसावां शहीद दिवस केवल एक कार्यक्रम नहीं, बल्कि शहीदों के प्रति सम्मान, आस्था और विश्वास का प्रतीक है। हर वर्ष लाखों श्रद्धालु खरसावां पहुंचकर शहीदों को नमन करते हैं। उन्होंने सभी कार्यकर्ताओं से अपने-अपने दायित्वों का ईमानदारी से निर्वहन करने की अपील की, ताकि कार्यक्रम शांतिपूर्ण एवं व्यवस्थित ढंग से संपन्न हो सके।
विधायक गागराई ने बताया कि 1 जनवरी 2026 को शहीद दिवस के अवसर पर अलग-अलग प्रखंडों में वाहन पार्किंग की व्यवस्था की जाएगी, जिससे श्रद्धालुओं को किसी प्रकार की असुविधा न हो। उन्होंने यह भी जानकारी दी कि मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन शहीदों को श्रद्धांजलि अर्पित करने खरसावां आएंगे और इसके बाद एक विशाल सभा का आयोजन भी किया जाएगा, जिसमें राज्य सरकार की जनकल्याणकारी योजनाओं के साथ-साथ खरसावां को कई नई सौगातें मिलने की संभावना है।
परिवहन मंत्री दीपक बिरूआ ने कहा कि खरसावां शहीद स्थल केवल स्मारक नहीं, बल्कि आदिवासी समाज के लिए प्रेरणा का केंद्र है। यही स्थल आदिवासी एकता और संघर्ष की शक्ति प्रदान करता है। उन्होंने कहा कि विधायक दशरथ गागराई के नेतृत्व में खरसावां शहीद दिवस को अंतरराष्ट्रीय पहचान मिली है और इसका महत्व निरंतर बढ़ रहा है।
परिवहन मंत्री ने खरसावां में एक विकसित एवं भव्य बस पड़ाव देने की भी घोषणा की, जिससे शहीद दिवस समेत अन्य आयोजनों के दौरान आने वाले श्रद्धालुओं को बेहतर परिवहन सुविधा मिल सके।
बैठक में झामुमो नेताओं ने इस बात पर जोर दिया कि लाखों श्रद्धालुओं की उपस्थिति को देखते हुए हर स्तर पर बेहतर समन्वय और अनुशासन बनाए रखना आवश्यक है, ताकि सभी को श्रद्धांजलि अर्पित करने का अवसर मिले और कोई अव्यवस्था उत्पन्न न हो।















