खरसावां / Umakant Kar: खरसावां प्रखण्ड अंतर्गत डेमकागोड़ा में हर साल की भाँति इस साल भी आदिवासी परंपरानुसार 15 वाँ वनाधिकार स्थापना दिवस हर्सोल्लास के साथ मानाया गया. ग्राम सभा ने 2013 में ही पत्थरगाड़ी किए है. पत्थर को पवित्र माना गया है क्योंकि आदिवासी सामुदाय प्राकृतिक उपासक है. ग्रामीण मुण्डा वोसेन मुण्डा ने स्वय पत्थर तथा पेड़-पौधों तथा फूलों को पूजा किये. कुल 1213.56 एकड़ वन भूमियों पर वनाधिकार प्रमाण -पत्र दिया गया है.
इस ग्राम में 03/03/2013 को ही सामुदायिक वनाधिकार प्रमाण-पत्र सरकार ने दे दिया है. सरकार ने वनाधिकार कानून 2006 के धारा 3(1) ख, ग, घ, च, छ, झ, ज्ञ, ट तथा ठ के तहत सामुदायिक वन संसाधनों पर उपयोग करने का अधिकार दिया गया है और धारा 5 के तहत सामुदायिक वन संसाधनों के संरक्षण, संबर्धन, उपयोग, पुनुर्रुज्जीवित और प्रबंधन करने का अधिकार मान्य किया गया है. सामुदायिक वन पालन संस्थान के सोहन लाल कुम्हार ने कहा कि इस ग्राम में 2013 के पूर्व जंगल का घनत्व नगण्य था लेकिन वनाधिकार प्रमाण-पत्र मिलने के बाद वनाश्रितों में जंगल के प्रति अपनात्व की भावना बढी़ और। जंगलों को संरक्षण करने लगे जो वर्तमान् समय मे जंगलों की घनत्वा में बहुत बृद्धि हो गई है. लाल ने वनाश्रितों को जागरुक करते हुए कहा कि बैध फसलों का खेती करें. महुआ चुनने तथा तेन्दू पत्ती की मात्रा बढा़ने के नाम पर आग न लगाया जाये. शिकार के नाम पर भी आग न लगाया जाये तथा किसी भी प्रकार के वन्य प्राणियों को न मारा जाये. जैबविविधताओं का संरक्षण करने पर ध्यान दिया जाना चाहिए.
वहीं, भरत सिंह मुण्डा ने कहा कि जंगलों के बिनाश के कारण ही जलवायु परिवर्तन में निरंतर उथल-पथल हो रही है। जंगलो के कारण ही स्वच्छ हावा,तथा जलवायु परिवर्तन परिवर्तन संतुलन वना रहता है तथा बर्षा भी होती है. कार्यक्रम में मुख्य रूप से भरत सिंह मुण्डा,वोसेन मुण्डा, बुधराम गोप, बबलु मुर्मु, सुखराम सरदार आदि उपस्थित थे.