होम 

राज्य

नौकरी

राजनीति

देश दुनिया

योजना

खेल समाचार

टेक

जमशेदपुर

धर्म-समाज  

वेब स्टोरी 

---Advertisement---

5_5_11zon
4_4_11zon
3_3_11zon
2_2_11zon
1_1_11zon
previous arrow
next arrow

 

श्रीराम को स्मरण कर संपन्न हुई रामार्चा पूजा, सोमवार को एक बजे से महाप्रसाद का वितरण, सुबह रुद्राभिषेक का होगा आयोजन

By Goutam

Published on:

 

रामार्चा पूजा

---Advertisement---

7_7_11zon
8_8_11zon
9_9_11zon
11_11_11zon
6_6_11zon
1000_1_11zon
previous arrow
next arrow

जनसंवाद, जमशेदपुर (रॉकी कुमार): जमशेदपुर पूर्वी के विधायक श्री सरयू राय की प्रमुख यजमानी में गुरु पूर्णिमा के शुभ अवसर पर रविवार को बारीडीह कार्यालय परिसर में रामार्चा पूजा विधि-विधान के साथ संपन्न हुई। रामार्चा पूजा का यह 24वां साल था। इस पूजा में प्रभु श्री राम, उनके परिजनों और उन सभी की पूजा की गई, जिन्होंने भगवान श्री राम का प्रत्यक्ष अथवा परोक्ष रूप से साथ दिया था। उनके सबके प्रति कृतज्ञता ज्ञापित कर, उनका पूजन कर समस्त मानव की मंगलकामना के साथ पूजा संपन्न हुई। अब सोमवार को प्रातः 8 बजे से रुद्राभिषेक प्रारंभ होगा और दोपहर एक बजे से महाप्रसाद वितरण होगा। महाप्रसाद का वितरण कार्यालय के ठीक सामने रामार्चा मैदान में होगा।

रविवार की सुबह पूजा नियत समय पर प्रारंभ हुई। सबसे पहले वेदी एवं स्थल पवित्रिकरण किया गया। फिर शांतिपाठ हुआ। इसके बाद संकल्पपूर्वक गौरी-गणेश, वरुण देवता का पूजन हुआ। फिर रक्षा विधान, ब्राह्मण वरण हुआ। इसके बाद वेदी पर चार आवरण में भगवान श्रीराम सहित उनके पूरे परिवार, वीर बजरंग बली, नवग्रह, दस दिगपाल, भगवान शिव, सप्तऋषि, अष्ट वसु, वास्तु, शक्तियों की पूजा और पवित्र नदियों की पूजा इत्यादि की गई। पूजा चार आवरण में हुई।

प्रथम आवरण में माता गौरी और भगवान शिव की पूजा की गई। इनके अतिरिक्त तेरह देवताओं का आवाहन, स्थापन और पूजन किया गया। दूसरे आवरण में श्री अयोध्या जी से लेकर अष्ठमंत्रियों तक कुल 21 देवताओं का आवाहन, स्थापन और पूजन किया गया। तृतीय आवरण में महाराज श्री दशरथ जी से लेकर भाईयों लक्ष्मण, भरत, शत्रुघ्न और हनुमान जी तथा लक्ष्मण जी की पत्नी, भरत जी की पत्नी और शत्रुघ्न जी की पत्नी का आवाहन, स्थापन और पूजन किया गया।

चतुर्थ आवरण में सीता माता संग भगवान श्रीराम का आवाहन, स्थापन और पूजन किया गया। इसके बाद यह बताया गया कि रामार्चा पूजा का महत्व क्या है, इसका इतिहास क्या रहा और इसे करने से कैसे इंसान पुण्य का भागी बनता है और बैकुंठ प्राप्त करता है। संध्या काल में हवन, पूर्णाहुति, आरती, पुष्पांजलि, विसर्जन और प्रसाद वितरण का भक्तों के बीच किया गया।

पूजा में प्रमुख यजमान श्री सरयू राय के अलावा श्री आशुतोष राय, श्रीमती पारूल सिंह, श्री धर्मेंद्र तिवारी, श्री सुबोध श्रीवास्तव, श्रीमती मंजू सिंह आदि बैठे थे। पूजन कार्य सर्वश्री विनोद पांडेय, धनजी पांडेय, घनश्याम मिश्रा आदि ने संपन्न कराया। समस्त पूजन कार्य बेगूसराय से पधारे श्री गौरीकांत ठाकुर के मार्गदर्शन में संपन्न हुआ।

सोमवार को महाप्रसाद वितरण

रामार्चा मैदान में पंडाल तैयार हो गया है। सोमवार, 22 जुलाई को इसी मैदान में महाप्रसाद का वितरण होगा। पिछले कई वर्षों से हजारों की संख्या में श्रद्धालुगण यहीं प्रसाद पाते रहे हैं। इस साल भी लोगों को महाप्रसाद में बक्सर के मशहूर कारीगरों द्वारा बनाए गए हाथी कान पूड़ी खाने का अवसर मिलेगा।

देखते ही बनता था वेदी

रामार्चा पूजा में वेदी का स्थान सबसे अहम होता है। वेदी के चारों तरफ लोग बैठते हैं और पूजन विधि में हिस्सा लेते हैं। रामार्चा पूजा हेतु तैयार वेदी को केला के थंभ, तैयार फलों और चांदनी से सजाया गया था। वेदी के चारों तरफ, केले के चार थंभ लगाए गए थे और उन्हें चारों तरफ से गेंदा फूलों से सजाया गया था। वेदी के हर हिस्से को गेंदे की माला से सजाया गया था। वेदी के बीचोबीच कलश की स्थापना होती है और फिर समस्त पूजन का केंद्रबिंदु यही वेदी होता है।

 

---Advertisement---

Leave a Comment