सोशल संवाद/जमशेदपुर: टाटा स्टील ने आज लौहनगरी के निवासियों को पुनर्निर्मित टाटा स्टील जूलॉजिकल पार्क समर्पित किया, जो जैव विविधता के संरक्षण के प्रति कंपनी की प्रतिबद्धता को दोहराता है।
टीवी नरेंद्रन, सीईओ एवं प्रबंध निदेशक, टाटा स्टील ने रघुनाथ पांडेय, अध्यक्ष, टाटा स्टील जूलॉजिकल सोसाइटी (TSZS) यूनियन, चाणक्य चौधरी, वाईस प्रेसिडेंट, कॉर्पोरेट सर्विसेज, टाटा स्टील और टाटा स्टील, टाटा स्टील यूटिलिटीज एंड इंफ्रास्ट्रक्चर सर्विसेज लिमिटेड के वरिष्ठ नेतृत्व, टाटा स्टील जूलॉजिकल पार्क के सदस्य सहित अन्य लोगों की उपस्थिति में ज़ू के एंट्रेंस प्लाजा में ‘पुनर्निर्मित’ पार्क का उद्घाटन किया।
टी वी नरेंद्रन ने कहा, “टाटा स्टील जूलॉजिकल पार्क क्षेत्र के वन्यजीवों और जैव विविधता के संरक्षण की आवश्यकता पर लोगों की जागरूकता बढ़ाने में सबसे आगे रही है, जिसमें साल भर विभिन्न शैक्षिक गतिविधियों जैसे छात्राओं के लिए नेचर कैंप, टच एंड लर्न एक्टिविटी, एक दिन के लिए ज़ूकीपर, कीपर टॉक आदि का आयोजन किया जाता है। जैव विविधता की हानि, स्थानीय स्तर पर और दुनिया भर में, सबसे जरूरी और त्वरित सस्टेनेबिलिटी चुनौतियों में से एक है जिसकी मानवता वर्तमान में सामना कर रही है। इन चुनौतियों के बारे में नागरिकों को सूचित करना और समाधान खोजने में उन्हें शामिल करना महत्वपूर्ण है।”
एंट्रेंस प्लाजा के खुलने से दर्शकों को चिड़ियाघर में आने के लिए अलग मार्ग सहित अपने चार पहिया और दोपहिया वाहनों को पार्क करने की सुविधा के साथ सुरक्षित निकास की सुविधा मिलेगी। इसके अतिरिक्त यहां चार्जिंग स्टेशनों के साथ सोवेनियर शॉप और ई-कार्ट, कर्मचारियों के लिए चेंज/रेस्ट रूम, एवी रूम, ई-टिकटिंग सुविधा, सीसीटीवी सर्विलांस आदि की सुविधा होगी। एक सुंदर फाउंटेन पार्क और हरियाली से युक्त प्रदर्शनी भी स्थापित की गई है। ये सुविधाएं अब न्यू प्लाज़ा से आने वाले लोगों के लिए 26 जनवरी, 2023 से खुलने के लिए तैयार हैं।
टाटा स्टील लिमिटेड ने 1992 में सिंहभूम लैंडस्केप में वनों और वन्य जीवों के संरक्षण की आवश्यकता पर लोगों की जागरूकता बढ़ाने के प्रयास के रूप में जमशेदपुर में एक चिड़ियाघर के निर्माण की अवधारणा बनाई थी। चिड़ियाघर में औसतन एक वर्ष में 4 लाख से अधिक आगंतुक आते हैं और यह जमशेदपुर के प्रमुख आकर्षणों में से एक है।
TSZP केंद्रीय चिड़ियाघर प्राधिकरण (CZA) द्वारा मान्यता प्राप्त ‘मध्यम’ श्रेणी का चिड़ियाघर है। सीजेडए समय-समय पर चिड़ियाघरों का मूल्यांकन करता है और उनके सुधार के लिए शर्तों को निर्धारित करता है। TSZP का समय-समय पर CZA द्वारा मूल्यांकन किया गया है और निर्धारित मानकों को पूरा करने के लिए प्रमुख अनुशंसाएं जैसे पोस्टमॉर्टम रूम और इंसीनरेटर के साथ एक पशु चिकित्सा अस्पताल का निर्माण, एनिमल एनक्लोजर की शिफ्टिंग, जनता के आने-जाने के लिए अलग प्रवेश और निकास द्वार, परिधि की दीवार को मजबूत करना आदि की गईं हैं।
टाटा स्टील जूलॉजिकल सोसाइटी ने पार्क के मास्टर लेआउट प्लान को फिर से तैयार करने में मदद करने के लिए टाटा स्टील यूटिलिटीज एंड इंफ्रास्ट्रक्चर सर्विसेज लिमिटेड (टीएसयूआईएसएल) को यह कार्य सौंपा। नई योजना के व्यापक सिद्धांत के रूप में विषयगत क्षेत्रों में जानवरों के टैक्सोनोमिक प्रदर्शन को चुना गया था। तदनुसार, लेआउट योजना निम्नलिखित विषयों के साथ तैयार की गई थी:
1) सरीसृप क्षेत्र- घड़ियाल, मगर, बिना जहर वाले सांप, और कछुओं को प्रदर्शित करने के लिए
2) भालू और वानरों का क्षेत्र- स्लॉथ बेयर, ग्रे लंगूर; बोनट मकाक; रीसस मकाक और मैनड्रिल्स को प्रदर्शित करने के लिए;
3) बर्ड्स एंड बटरफ्लाई जोन: एक जलीय पक्षी एवियरी और बटरफ्लाई हाउस सहित उड़ने वाली और जमीनी पक्षियों की विभिन्न प्रजातियों को प्रदर्शित करने के लिए
4) कार्निवोर ज़ोन- शेर, बाघ और तेंदुए और लकड़बग्घे जैसी बड़ी बिल्लियों को प्रदर्शित करने के लिए
5) शाकाहारी क्षेत्र- जेब्रा, हिरण; सांभर और चित्तीदार हिरण; ब्लैकबक और नीलगाय; बार्किंग डियर के समग्र प्रदर्शन के लिए
6) नेचर इंटरप्रेटेशन जोन – नागरिकों के विज्ञान गतिविधियों; पुस्तकालय और संग्रहालय और बर्डर्स के लिए नेचर ट्रेल्स के लिए एम्फीथिएटर के साथ
7) अस्पताल परिसर- एक्स-रे; अल्ट्रासाउंड; पैथोलॉजिकल और पशु पोषण प्रयोगशाला; ज़ू कमिसरी; सर्जिकल रूम; पक्षियों और वानरों के लिए रोगी वार्ड; मांसाहारी और शाकाहारी; पोस्टमार्टम कक्ष और इंसिनेरेटर जैसे आधुनिक नैदानिक उपकरणों को समायोजित करने के लिए। चिड़ियाघर में नए आने वाले जानवरों को समायोजित करने के लिए क्वारंटाइन एरिया।
सीजेडए ने जुलाई 2020 में जूलॉजिकल पार्क की नई लेआउट योजना को मंजूरी दी थी। हालांकि, कोविड के कारण इसके कार्यान्वयन की योजना में देरी हुई और 2022 में इस पर काम शुरू हुआ। पूरी परियोजना को चरणबद्ध तरीके से किया जाएगा है और वर्ष 2025 तक इसके पूरा होने की संभावना है।