खरसावां / Umakant kar: चक्रधरपुर रेल मंडल अंतर्गत महालिमोरूप रेलवे स्टेशन से होकर रोजाना सैकड़ो यात्री व मालवाहक ट्रेनों का परिचालन किया जाता है. इससे रेलवे को अच्छा खासा राजस्व प्राप्त होता है. इसके बावजूद यहां के यात्री सुविधा की घोरभाव है. बता दें कि रविवार को रेलवे प्रामर्शदात्री सदस्य छोटेराय किस्कु जी महालिमोरूप रेलवे स्टेशन पहुंचकर यात्री समस्याओं से रूबरू हुए और उन्होंने बताया कि वह रेलवे विभाग की अगली बैठक में महालिमोरूप रेलवे स्टेशन के यात्री समस्याओं को रखेंगे और समाधान करने की मांग करेंगे.
एसे तो स्टेशन में यात्रियों के लिए पेयजल,शौचालय,व लाइट की समस्या है ही लेकिन सबसे बड़ी समस्या फूट ओवर ब्रिज का नहीं होना है. इस स्टेशन में फुट ओवर ब्रिज की व्यवस्था तो है पर आधा अधूरा. यहां के प्लेटफार्म संख्या 1,2 और 3 में फुट ओवरब्रिज है जबकि प्लेटफार्म संख्या चार के सातवां और आठवां रेल लाइन को आर पार करने के लिए ब्रिज की व्यवस्था ही नहीं है. इसके बावजूद इन दोनों पटरियों पर घंटों मालवाहक ट्रेनों को खड़ी कर दी जाती है,ऐसे परिस्थिति में मजबूरन यात्री जान को जोखिम में डालकर ट्रेन के नीचे से आवाजाही करते है ऐसे में कभी भी बड़ी दुर्घाटना से इंकार नही किया जा सकता है. महालिमोरूप स्टेशन में 18 पैसेंजर गाड़ियों का ठहराव है,जबकि यहाँ एक भी एक्सप्रेस ट्रेन का ठहराव नहीं है यात्रियों को लंबी दूरी का सफर करने के लिए अन्यत्र स्टेशन से ट्रेन पकड़ना पड़ता है। यात्रियों ने बताया कि इस स्टेशन परिसर में शौचालय की कोई व्यवस्था नहीं है. स्टेशन परिसर के बाहर शौचालय का निर्माण किया गया है, उसमें हमेशा ताला लगा रहता है, जिससे महिला यात्रियों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ता है.
इस स्टेशन पर पीने का पानी का कोई व्यवस्था नहीं है. प्लेटफाॅर्म दो और तीन पर एक एक चापकल है, जिसकी हालत अच्छी नहीं है. स्टेशन के प्लेटफाॅर्म परिसर में पर्याप्त शेड उपलब्ध नही होने की वजह से बरसात के दिनों में यात्रियों की दिक्कत होती है. स्टेशन में लाइट की कमी होने की वजह से सभी प्लेटफाॅर्म में अंधकारमय बना रहता है. प्लेटफार्म में यात्रियों के लिए पर्याप्त चेयर उपलब्ध नहीं होने की वजह से यात्री मजबुरन जमीन पर बैठकर ट्रेन आने का इंजर करते है. मौके पर कोन्दो कुंभकार,गोविंदा नायक, हेमसागर प्रधान,श्यामसिंह मुंडरी, शैलेंद्र हो, उत्तम जायसवाल, खिरोद महतो आदि उपस्थित थे.