जनसंवाद, खरसावां (उमाकांत कर): राज्य सरकार द्वारा पेसा कानून (PESA Act) को कैबिनेट में स्वीकृति दिए जाने की खुशी में बुधवार शाम खरसावां में आदिवासी समुदाय ने उत्साहपूर्वक जश्न मनाया। इस अवसर पर ढोल-नगाड़ों की थाप, पारंपरिक नृत्य और आपसी बधाइयों के साथ लोगों ने इस ऐतिहासिक फैसले के लिए राज्य के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के प्रति आभार प्रकट किया।
आदिवासी समाज के लोगों ने इस निर्णय को आदिवासी स्वशासन, ग्राम सभा की मजबूती और पारंपरिक अधिकारों की बहाली की दिशा में एक बड़ा कदम बताया। कार्यक्रम में बड़ी संख्या में ग्रामीण, सामाजिक कार्यकर्ता और जनप्रतिनिधि मौजूद रहे।
इस मौके पर खरसावां विधायक दशरथ गागराई भी कार्यक्रम में शामिल हुए। उन्होंने आदिवासी समुदाय को बधाई देते हुए कहा कि झारखंड राज्य के निर्माण के पीछे हमारे पूर्वजों का सपना था—जल, जंगल और जमीन पर अधिकार। हेमंत सोरेन सरकार उसी सपने को साकार करने की दिशा में लगातार काम कर रही है।
विधायक दशरथ गागराई ने कहा कि सरकार की शुरू से प्राथमिकता रही है कि आदिवासी सभ्यता, संस्कृति, पहचान और पारंपरिक स्वशासन व्यवस्था को मजबूत किया जाए। पेसा कानून को लागू करने का निर्णय अब साकार रूप लेने जा रहा है, जिससे पारंपरिक ग्राम प्रधानों, मानकी-मुंडाओं और ग्राम सभाओं को उनका वास्तविक अधिकार मिलेगा।
उन्होंने कहा कि पेसा कानून अनुसूचित जनजातीय क्षेत्रों के विकास में मील का पत्थर साबित होगा और इससे ग्राम सभाएं और अधिक सशक्त होंगी। हालांकि, उन्होंने यह भी कहा कि अब सबसे बड़ी चुनौती इसका प्रभावी और पारदर्शी ज़मीनी क्रियान्वयन है, ताकि इसका लाभ वास्तव में आदिवासी समाज तक पहुंच सके।
जश्न के दौरान लोगों ने उम्मीद जताई कि पेसा कानून कागज़ों तक सीमित न रहकर जल्द ही धरातल पर उतरेगा और आदिवासी समाज को अपने संसाधनों पर वास्तविक नियंत्रण मिलेगा।
इस अवसर पर मुख्य रूप से समाजसेवी बासंती गागराई, प्रदेश सचिव छोटेराय किस्कू, मुखिया मंगल जामुदा, मुखिया सुनिता तापे, मनोज सोय, बबलु हांसदा सहित आदिवासी समुदाय के कई गणमान्य लोग उपस्थित थे।














