जनसंवाद डेस्क: जमशेदपुर के एसएसपी प्रभात कुमार ने बिरसानगर के थाना प्रभारी प्रभात कुमार और थाना के अवर निरीक्षक दीपक कुमार दास को निलंबित कर दिया है। दोनों गैस गोदाम मालिक को डरा धमका कर वसूली कर रहे थे। अवैध वसूली की शिकायत के बाद एसएसपी ने इसका जांच का जिम्मा ग्रामीण एसपी मुकेश लुणायत को दी थी।
उगाही के लिए वरीय अधिकारियों का लेते थे नाम
जांच रिपोर्ट में आरोप को सही पाया गया। बिरसानगर थानेदार और सब इंस्पेक्टर को दोषी पाए गए। ग्रामीण एसपी के जांच रिपोर्ट के आधार पर एसएसपी ने दोनों को निलंबित कर दिया। बताया जा रहा है कि उगाही करने के लिए थानेदार वरीय अधिकारियों का नाम का सहारा लेते थे। अपना रिश्तेदार बताते थे। इसकी शिकायत एसएसपी के पास पहुंची थी।
पैसे लेने के बाद भी कर दिया था केस
बताया जा रहा है कि 17 जून को बिरसानगर स्थित एचपी गैस गोदाम में गैस कटिंग करने के नाम पर थाना प्रभारी ने छापेमारी की थी। गैस सिलेंडर लदे दो वाहन और गोदाम के कर्मियों को थाना लेकर आए थे। गोदाम में भी थानेदार ने ताला मार दिया था। इसके बाद वाहन और कर्मियों को छोड़ने के लिए पैसों की मांग की। थानेदार ने छह लाख रुपए मांगे थे, लेकिन डेढ़ लाख रुपए में बात बनी। गोदाम मालिक ने डेढ़ लाख रुपए पुलिस अवर निरीक्षक दीपक कुमार दास को थाना में ही दिया। इसके बाद भी थानेदार ने ना वाहन छोड़ा और ना कर्मियों को छोड़ा। कहा कि साहब के निर्देश पर कार्रवाई हुई है। साहब के आदमी चंद्रमौली मिश्रा को भी पैसे देने होंगे। चंद्रमौली को 50 हजार रुपए थानेदार के कहने पर गोदाम मालिक ने दिए।
थाना को बना दिया उगाही का अड्डा
इन दोनों पुलिस पदाधिकारियों पर बहुत गंभीर आरोप है। दोनों ने थाना को अन्य पुलिसकर्मियों के सहयोग से ‘उगाही का अड्डा’ बना डाला था। सबसे आश्चर्य की बात है कि रोजाना उगाही में वरीय अधिकारी का ही नाम बेचते थे जैसे उगाही उनके लिये कर रहे हैं। इलाके में आम जनता डरकर थाने की हर मुरीद पूरी करते थे। पता चला है कि थानेदार और अन्य पुलिसकर्मियों पर प्रिवेंशन ऑफ करप्शन एक्ट के तहत मुकदमा भी दर्ज कराया जा सकता है।
चंद्रमौली जैसे सभी थाने में है दलाल
चंद्रमौली नामक किरदार थाना का दलाल है जिसकी तरह कई दलाल थाना क्षेत्र में सक्रिय रखे गये थे। इनका काम था कि बिरसानगर की जो ‘जमीन पहचान सबै भूमि गोपाल की है’ उसके सहारे दलाल जमीन पर काम करनेवालों के पास पहुंच जाते थे और थानेदार साहब के आदेशानुसार रकम तय कराते और वसूली कराते थे। पूरा वसूली का खेल खुलेआम चलता था। इलाके में कानाफुसी होती थी। थानेदार अपनी वसूली अभियान में न निर्धन परिवार को बख्शते थे और न ही बड़े कारोबारियों को।
थानेदार ने नौ महीने में ही बनाया वसूली का रिकॉर्ड
नौ महीने के कार्यकाल में प्रभात कुमार ने बिरसानगर में जो वसूली की पहचान बनाई, उसके बारे में क्षेत्र के लोग बताते हैं कि ऐसी पहचान बिरसानगर की पहले कभी नहीं थी। थानेदार ने नौ महीने में जो रकम वसूली की है उसका अंदाजा लगाना भी सहज नहीं है। इस वसूली की रकम को लेकर तरह-तरह की चर्चा है जो करोड़ों में कही जाती है। बिरसा नगर में किसी भी जमीन पर नया काम हो या पुराने मकान की रिपेरिंग, थाना के दलाल या दीपक जैसे पुलिस कर्मी पहुंच कर पहले काम रोकते, फिर पैसे वसूलने का तिकड़म बिठाया जाता।