जनसंवाद, चांडिल : चांडिल के लुपुंगडीह स्थित नारायण आईटीआई में भारत के महान महापुरुष पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी बाजपेयी, शिक्षाविद डॉ मदन मोहन मालवीय व झारखंड आंदोलन के प्रणेता शहीद निर्मल महतो का जन्मदिन मनाया गया। इस अवसर पर शिक्षण संस्थान के संस्थापक, शिक्षाकर्मी व आम नागरिकों ने महापुरुषों के चित्र पर श्रद्धांजलि दी।
उपस्थित लोगों को सम्बोधित करते हुए संस्थान के संस्थापक डॉ जटाशंकर पांडे ने कहा कि अटल बिहारी वाजपेयी भारत के दसवें प्रधानमन्त्री थे। उन्होंने प्रधानमंत्री का पद तीन बार संभाला है। वे हिन्दी कवि, पत्रकार व एक प्रखर वक्ता थे। वे भारतीय जनसंघ के संस्थापकों में एक थे और 1968 से 1973 तक उसके अध्यक्ष भी रहे। उन्होंने लम्बे समय तक राष्ट्रधर्म, पाञ्चजन्य और वीर अर्जुन आदि राष्ट्रीय भावना से ओत-प्रोत अनेक पत्र-पत्रिकाओं का सम्पादन भी किया।
उन्होंने कहा कि महामना मदन मोहन मालवीय काशी हिन्दू विश्वविद्यालय के प्रणेता तो थे ही और इस युग के आदर्श पुरुष भी थे। वे भारत के पहले और अन्तिम व्यक्ति थे जिन्हें महामना की सम्मानजनक उपाधि से विभूषित किया गया। पत्रकारिता, वकालत, समाज सुधार, मातृ भाषा तथा भारतमाता की सेवा में अपना जीवन अर्पण करने वाले इस महामानव ने जिस विश्वविद्यालय की स्थापना की उसमें उनकी परिकल्पना ऐसे विद्यार्थियों को शिक्षित करके देश सेवा के लिये तैयार करने की थी जो देश का मस्तक गौरव से ऊँचा कर सकें।
मालवीय जी सत्य, ब्रह्मचर्य, व्यायाम, देशभक्ति तथा आत्मत्याग में अद्वितीय थे। इन समस्त आचरणों पर वे केवल उपदेश ही नहीं दिया करते थे अपितु स्वयं उनका पालन भी किया करते थे। वे अपने व्यवहार में सदैव मृदुभाषी रहे। उन्होंने कहा कि निर्मल महतो, एक भारतीय राजनेता और झारखंड मुक्ति मोर्चा के प्रमुख नेता थे। वह ऑल झारखण्ड स्टूडेंट्स यूनियन के संस्थापक भी थे। वह झारखण्ड अलग राज्य के आंदोलन में प्रमुख नेताओं में से थे। निर्मल महतो ने शोषण के विरुद्ध एवं गरीबों, मजदूरों, किसानों के हक के लिए आवाज उठायी और जमीनी स्तर पर युवाओं को जोड़ने का काम किया।
इस अवसर पर प्रो0 सुदीष्ट कुमार, प्रशांत गोप, अनुप महतो, पिंटू महतो, शांतिराम महतो, अजय मंडल, गुणधर गोप, कृष्णपद महतो, प्रकाश महतो, जयदीप पांडे, नियति कोड़ा, दीपाली गोप आदि उपस्थित थे।