गम्हरिया / Balram Panda : सरायकेला जिले के गम्हरिया प्रखंड परिसर में मंगलवार की देर रात घटी एक भयावह घटना ने पूरे इलाके को सन्न कर दिया. जेएफसी गोदाम में अचानक लगी भीषण आग ने सब कुछ तहस-नहस कर दिया. इस हादसे में गोदाम के एजीएम अभिषेक हाजरा और ट्रांसपोर्टर राजू सेनापति गंभीर रूप से झुलस गए. दोनों की हालत फिलहाल टाटा मुख्य अस्पताल (टीएमएच) में नाजुक बनी हुई है.

परिजनों के लिए यह खबर किसी वज्रपात से कम नहीं थी, गुरुवार को जब राजू सेनापति की मां और पत्नी अस्पताल पहुंचीं और उनकी स्थिति जानी — तो वे बेहोश हो गईं. उधर, अभिषेक हाजरा की पत्नी का भी रो-रोकर बुरा हाल है. अस्पताल के गलियारों में सिर्फ एक ही प्रार्थना गूंज रही है, “ईश्वर इन्हें बचा ले.

वहीं, घटना की सूचना मिलते ही प्रशासन हरकत में आ गया. गुरुवार को एग्जीक्यूटिव मजिस्ट्रेट सतेंद्र महतो के नेतृत्व में जिला प्रशासन की टीम ने घटनास्थल का निरीक्षण किया. इस टीम में जिला आपूर्ति पदाधिकारी पुष्कर सिंह मुंडा, परिवहन पदाधिकारी गिरिजा शंकर महतो, और गम्हरिया अंचलाधिकारी प्रवीण कुमार समेत कई वरीय अधिकारी मौजूद थे.

इधर, सब-इंस्पेक्टर सोनू कुमार, बिनोद टुडू, और नीतिश पांडे की टीम भी मौके पर पहुंचकर हर पहलू की बारीकी से जांच में जुटी रही. जहां अग्निशमन विभाग ने अतिरिक्त दमकल की गाड़ियाँ भेजीं, ताकि उन स्थानों पर आग पूरी तरह बुझाई जा सके जहाँ अब भी धुआं उठ रहा था.

शाम होते-होते अस्पताल में अधिवक्ता ओमप्रकाश और पूर्व पार्षद नीतू शर्मा पहुंचे. उन्होंने घायलों के परिजनों से मुलाकात की और हरसंभव सहयोग का आश्वासन दिया.
लेकिन इन सबके बीच एक सवाल प्रशासन की कार्यशैली पर उठ रहा है — अब तक घटनास्थल को सील क्यों नहीं किया गया? क्या सबूतों की सुरक्षा खतरे में है? यदि जांच में ज़रा सी भी ढिलाई हुई, तो यह मामला रहस्य में बदल सकता है.
जहां पुलिस का दावा है कि सभी बिंदुओं पर जांच तेज़ी से चल रही है. फिलहाल, गम्हरिया गोदाम अग्निकांड एक दर्दनाक पहेली बन चुका है — जहाँ राख के नीचे अब भी सवालों की चिंगारी सुलग रही है.














