सोशल संवाद/जमशेदपुर: झारखंड प्रदेश कांग्रेस कमिटी ने 4 दिसंबर को अपने 24 ज़िलों के जिला अध्यक्ष की घोषणा की। जिसमें कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष ने प्रदेश के 24 ज़िलों में एक भी मुसलमान को ज़िला का अध्यक्ष नहीं बनाया, यह कांग्रेस के असल चेहरे को बेनकाब करता है। यह कहना है बहुजन आंदोलनकारी काशिफ़ रज़ा सिद्दीकी का।
उन्होंने कहा कि 2014 लोकसभा चुनाव के बाद भाजपा ने यह पहली बार साबित किया कि इस देश में बिना मुसलमानों के समर्थन के भी पूर्ण बहुमत की सरकार बन सकती है, उसके बाद से लगातार क्षेत्रीय और केंद्रीय पार्टियाँ हिंदुत्व के एजेंड पर काम कर हिन्दू वोटर्स को लुभाने की कोशिश में लगी हुई है। हर राजनीतिक पार्टी मुसलमानों के मुद्दों पर खामोशी साध कर इस देश के बहुसंख्यक वोटर्स को अपने करीब करने में प्रयासरत है।
झारखंड जहां मुसलमानो की जनसंख्या 16% से अधिक है और 50 लाख से अधिक मुसलमान रहते है, जिनका प्रभाव 20 से अधिक विधानसभा की सीटों पर पड़ता है, ये सारे वोटर्स आज तक झामुमो और काँग्रेस के पारंपरिक वोटर्स है और सरकार बनाने में मुख्य भूमिका निभाते हैं।
झारखंड में मौजूदा गठबंधन की सरकार मुसलमानो के मतों से ही सत्ता पर आई है, पर 2019 में सरकार बनने के बाद से अब तक केवल मुसलमानो के अहम मुद्दों जैसे, शिक्षा, रोज़गार, आरक्षण, मोब लीनचिंग और सुरक्षा पर यह सरकार चुप्पी साधी हुई है, मोब लीनचिंग कानून भी अब तक पारित नहीं हो सका है।
चुनाव के पहले मुसलमानो को भाजपा और हिंदुत्व का डर दिखा कर वोट लेना और सत्ता आने के बाद फिर मुसलमानो के मुद्दों पर खामोशी हो जाना यही अब रिवायत बन गई है। कांग्रेस ना केवल झारखण्ड प्रदेश बल्कि राष्ट्रीय स्तर पर मुसलमानो पर हो रहे ज़ुल्म और अत्याचार पर चुप्पी साधी नज़र आने लगी है, जिससे यह साफ जाहिर होता है कि कांग्रेस केवल मुसलमानो को ठगने का काम कर रही है।
काशिफ़ रज़ा सिद्दीकी ने आगे कहा कि कांग्रेस ने जिला अध्यक्षों की सूची में एक भी मुसलमानो का नाम ना दे कर अपने एजेंडा को साफ कर दिया है, इसका मुहंतोड़ जवाब झारखंड के मुसलमान आने वाले लोकसभा और विधानसभा चुनाव में ज़रूर देंगे।