खरसावां /Umakant Kar : सरायकेला-खरसावां जिला के दलभंगा ओपी क्षेत्र (कुचाई) में पुलिस की टीम ने छापेमारी कर मवेशी तस्करी के बड़े खेल का भंडाफोड़ किया है. गुप्त सूचना के आधार पर तोरम्बा सियाडीह इलाके में चलाए गए विशेष अभियान के तहत पुलिस ने करीब 140 जोड़ा बैल जब्त किए हैं. जब्त किये गये पशुओं की कीमत करीब एक करोड़ के आसपास होने की बात कही जा रही है. बताया जाता है कि इन बैलों को पैदल तस्करी कर सुरक्षित जोन तक पहुंचाया जा रहा था. जब्त किये गये दर्जनों बैलों के पैरों में घोडा के पैर की तरह लोहे का नाल भी ठोका हुआ है. संभवत बैलों को लंबी दूरी तक चलाने के लिये ही पैरों में नाल ठोका गया था. पुलिस को लंबे समय से खबरें मिल रही थीं कि दलभंगा क्षेत्र से लगातार रात के अंधेरे में भारी संख्या में मवेशी पैदल सीमा पार कराए जा रहे हैं. गुप्त सूचना के आधार पर इस बार पुलिस ने सटीक रणनीति बनाकर छापेमारी की, जिसमें यह बड़ी सफलता हाथ लगी. पकड़े गए मवेशी तस्कर पाहाडियों की तलहटी पर पगडंडी रास्तों का इस्तेमाल कर मवेशियों को धीरे-धीरे सुरक्षित ठिकानों तक पहुंचाते थे, जहाँ से उन्हें वाहनों में लादकर राँची जिले के तमाड़ क्षेत्र होते हुए बंगाल और अन्य राज्यों में भेजा जाता था.
दलभंगा सीआरपीएफ कैम्प में बनाए गए बैलों के लिए अस्थायी शरणालय
जब्त किए गए सभी बैलों को फिलहाल दलभंगा सीआरपीएफ कैम्प में रखा गया है. पुलिस मामले की जांच कर रही है. साथ ही किसी तरह की सूचना देने से भी बच रही है. सूत्रों के मुताबिक, इतनी बड़ी संख्या में मवेशी एक साथ बरामद होना यह बताता है कि तस्करी का यह धंधा अब संगठित गिरोहों के हाथ में चला गया है, जो स्थानीय प्रशासन की ढिलाई का फायदा उठाकर अपनी जड़ें गहरी कर चुके हैं.
पुलिस की चुप्पी, लेकिन अंदरखाने मचा हड़कंप
पुलिस ने अभी तक इस मामले पर आधिकारिक तौर पर कुछ भी बयान नहीं दिया है. ऐसा माना जा रहा है कि इस गिरोह के तार अन्य राज्यों से भी जुड़े हो सकते हैं.अधिकारियों के मुताबिक, पूछताछ पूरी होने के बाद बड़े नेटवर्क के खिलाफ सघन छापेमारी अभियान चलाया जाएगा. सूत्र बताते हैं कि पुलिस की अगली योजना तस्करी के मास्टरमाइंड तक पहुँचने की है. पुलिस इस बार पूरे नेटवर्क को ध्वस्त करने का लक्ष्य है, ताकि क्षेत्र को इस संगठित अपराध से मुक्त कराया जा सके.
तोरम्बा-सियाडीह : तस्करों का नया ‘सेफ कॉरिडोर’
स्थानीय लोगों का कहना है कि टोलको से लेकर कुचाई, दलभंगा, रडगांव (तमाड़) व चांडिल क्षेत्र में पिछले कुछ वर्षों में मवेशी तस्करों के लिए ‘सुरक्षित कॉरिडोर’ बन चुका है. रात के समय सैकड़ों मवेशियों को पैदल चलाकर बिना किसी रोकटोक के पार कराना आम बात हो गई है. पहली बार पुलिस को इतनी बड़ी सफलता मिली है. पूछताछ में खुलासा हुआ है कि गिरोह पहले कोल्हान क्षेत्र के अलग-अलग गाँवों से मवेशी खरीदता है. इसके बाद इन मवेशियों को रात के वक्त तोरम्बा, दलभंगा और आसपास के सुरक्षित पगडंडी रास्तों से पैदल पार कराया जाता है. सीमा पार करने के बाद पहले से तैयार ट्रकों में मवेशी लादकर उन्हें राँची के तमाड़ क्षेत्र के रास्ते बंगाल या अन्य राज्यों की मंडियों में भेजा जाता है,जहाँ मोटे मुनाफे में उनकी बिक्री होती है. तस्करी में स्थानीय युवक,गाड़ी चालक, बिचौलिये और कुछ कथित व्यापारी भी शामिल बताए जा रहे हैं.