जनसंवाद, खरसावां (उमाकांत कर): खरसावां में राज्य स्तरीय वनाधिकार कानून 2006 की दशा एवं दिशा पर एक दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया गया। इस कार्यशाला का आयोजन आईसीएफजी के तत्वावधान में सामाजिक विकास केन्द्र, रांची में किया गया।
कार्यशाला में मुख्य वक्ता उड़ीसा के बसुनधरा से आए श्री तुसार दाश ने कहा कि झारखंड, उड़ीसा और छत्तीसगढ़ की तुलना में वनाधिकार कानून के क्रियान्वयन में काफी पीछे है। उन्होंने चिंता जताई कि झारखंड सरकार जंगल-जमीन से जुड़ी होने के बावजूद भी अपेक्षित काम नहीं कर रही है।
कोलेबिरा के विधायक विक्शल कोंगाड़ी ने बताया कि सिमडेगा के उपायुक्त और वन प्रमंडल पदाधिकारी वनाधिकार मामलों पर गंभीरता नहीं दिखा रहे हैं। करीब 42 सामुदायिक वनाधिकार प्रमाण पत्र लंबित पड़े हैं, जिन पर डीएफओ ने अब तक हस्ताक्षर नहीं किए हैं।
जेवियर कुजुर ने कहा कि आईसीएफजी की ओर से लगभग 2,000 ग्रामों में दावा पत्र जमा किए गए हैं, लेकिन अधिकारियों की गैर-जिम्मेदारी के कारण ये विभिन्न कार्यालयों में लंबित हैं। वहीं, सोहन लाल कुम्हार ने कहा कि झारखंड में विधि सम्मत वनाधिकार प्रमाण पत्र समय पर नहीं दिए जा रहे हैं।
खरसावां विधानसभा क्षेत्र के विधायक दशरथ गागराई ने कहा कि झारखंड सरकार आबुआ: विर आबुआ: दिशोम अभियान के तहत वनाधिकार अधिनियम को धरातल पर लागू करने की दिशा में प्रयासरत है। उन्होंने स्वीकार किया कि कुछ स्थानों पर त्रुटियाँ हुई हैं, जिन्हें सुधारने के लिए वे सरकार का ध्यान आकर्षित करेंगे।
कार्यशाला में विभिन्न सामाजिक संगठनों के कार्यकर्ता, मुखिया और जनप्रतिनिधि मौजूद थे जिनमें धमेंद्र सिंह मुंडा, करम सिंह मुंडा, राम सोय, भरत सिंह मुंडा, मुन्ना सोय, राजेश महतो, सुधीर मुंडा, सरिता तिर्की, कुंदन गुप्ता, प्रकाश भुईंया, विफाई भगत, सुखराम मुंडा, ओम प्रकाश माझी, आशा हसदा, रुपाली महतो, आशोक मानकी, टेने मुंडारी, मोतिलाल बेसरा, राजेश हसदा, पौलमिकि भेंगड़ा, चोले मुंडा, समर्पण सुरीन, विनिता देवी समेत कई लोग शामिल रहे। इस कार्यशाला ने झारखंड में वनाधिकार कानून की स्थिति और चुनौतियों पर गंभीर मंथन का अवसर दिया।