जनसंवाद, खरसावां (उमाकांत कर): कुचाई प्रखंड क्षेत्र के घोर सुदूरवर्ती पहाड़ी और घने जंगलों से घिरे अफीम प्रभावित गांव रायसिंदरी में बुधवार को किसानों को वैकल्पिक खेती की ओर प्रेरित करने के उद्देश्य से एक महत्वपूर्ण पहल की गई। राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा मिशन के तहत रायसिंदरी गांव के 50 किसानों के बीच चना, सरसों एवं सब्जी के उन्नत बीजों का निःशुल्क वितरण किया गया।
बीज वितरण कार्यक्रम का नेतृत्व प्रखंड कृषि पदाधिकारी लिबनुस हेंब्रम एवं बीटीएम राजेश कुमार ने किया। इस अवसर पर किसानों को जागरूक करते हुए बताया गया कि अफीम की खेती न केवल गैर-कानूनी है, बल्कि स्वास्थ्य और समाज दोनों के लिए अत्यंत हानिकारक भी है। इसी कारण किसानों को वैकल्पिक और लाभकारी फसलों की ओर प्रोत्साहित करने के लिए यह पहल की गई है।
प्रखंड कृषि पदाधिकारी लिबनुस हेंब्रम ने कहा कि किसान देश का अन्नदाता है। वे अपनी मेहनत से न सिर्फ देश की खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करते हैं, बल्कि अर्थव्यवस्था की रीढ़ भी हैं। किसानों को गैरकानूनी और नुकसानदेह खेती से दूर रखते हुए वैज्ञानिक और टिकाऊ कृषि पद्धतियों से जोड़ना समय की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि चना, सरसों और सब्जी जैसी फसलें कम लागत में बेहतर आमदनी का साधन बन सकती हैं।
बीटीएम राजेश कुमार ने किसानों को बीज के सही उपयोग, बुवाई की तकनीक और फसल प्रबंधन से जुड़ी महत्वपूर्ण जानकारियां दीं। उन्होंने कहा कि सरकार किसानों को वैकल्पिक खेती अपनाने के लिए हर संभव सहयोग दे रही है, ताकि अफीम जैसी अवैध फसलों पर पूरी तरह रोक लगाई जा सके और किसानों की आय में वृद्धि हो।
कार्यक्रम के दौरान किसानों ने भी इस पहल का स्वागत करते हुए कहा कि यदि उन्हें समय-समय पर सरकारी सहयोग और मार्गदर्शन मिलता रहा, तो वे अवैध खेती छोड़कर पूरी तरह वैकल्पिक कृषि को अपनाने के लिए तैयार हैं।
इस अवसर पर किसान मित्र बूंदी राम सोय, दामू मुंडा सहित अन्य स्थानीय किसान उपस्थित रहे। यह पहल रायसिंदरी जैसे संवेदनशील क्षेत्रों में सामाजिक और आर्थिक बदलाव की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम मानी जा रही है।















