जनसंवाद, जमशेदपुर: जमशेदपुर पूर्वी के विधायक सरयू राय ने झारखण्ड सरकार के स्वास्थ्य मंत्री बन्ना गुप्ता के विरूद्ध प्रमाण सहित एक आरोप पत्र प्रवर्तन निदेशालय के निदेशक को भेजा है और मांग किया है कि मंत्री बन्ना गुप्ता के धन शोधन एवं आय से अधिक सम्पति की जाँच कराई जाए।
आरोप पत्र में उल्लेखित 10 बिन्दुओं के माध्यम से स्वास्थ्य मंत्री के भ्रष्ट आचरण के कारण सरकारी खजाने पर भारी चपत पड़ा है। एंबुलेंस और अस्पतालों के लिए जरूरी उपकरणों की खरीद में अनियमितता बरतना, अनधिकृत रूप से चिकित्सकों, सिविल सर्जनों एवं अन्य वरिष्ठ चिकित्सा पदाधिकारियों का तबादला करना तथा आयुष्मान योजना से आच्छादित अस्पतालों के साथ साँठ-गाँठ के लिए निःशुल्क सहयोग करने वाले परामर्शी की बहाली करना आदि आरोपों का ज़िक्र प्रवर्तन निदेशालय को प्रेषित आरोप पत्र में है।
श्री राय ने कहा कि यदि इन आरोपों की जाँच प्रवर्तन निदेशालय करता है तो काफी अवैध धन का खुलासा होगा और आयुष्मान योजना के तहत स्वास्थ्य विभाग में हुई अनियमितताएं सामने आएगी। पत्र की हुबहू कॉपी इस प्रकार है…
“महाशय,
उपर्युक्त विषय में आपका ध्यान निम्नांकित बिन्दुओं की ओर आकृष्ट करना चाहता हूँ:-
- वित्तीय वर्ष 2021-22 में कोविड प्रोत्साहन राशि का अनुचित लाभ स्वयं एवं अपने मंत्री कोषांग में कार्यरत कर्मियों के नाम पर लेने का प्रयास बन्ना गुप्ता द्वारा किये जाने की सप्रमाण जानकारी मुझे मिली तो मैंने झारखण्ड सरकार के तत्कालीन मुख्यमंत्री को स्वास्थ्य विभाग के संबंधित संचिका के प्रासंगिक पृष्ठ संलग्न करते हुए समुचित कार्रवाई हेतु दिनांक 13.04.2022 को पत्र लिखा (अनु.-1), जो अखबारों में भी छपा। परन्तु मुख्यमंत्री ने इस पर कोई कार्रवाई नहीं की। उल्टे स्वास्थ्य मंत्री श्री बन्ना गुप्ता के आदेश से स्वास्थ्य विभाग ने विभागीय संचिका के प्रासंगिक पृष्ठों को सार्वजनिक करने के आरोप में ऑफिसियल सीक्रेट्स एक्ट एवं भारतीय दंड संहिता की अन्य धाराओं के अंतर्गत डोरण्डा थाना, राँची में एक प्राथमिकी संख्या 105/22, दिनांक 02.05.2022 दर्ज करा दिया (अनु.-2)। अज्ञात के विरूद्ध दर्ज इस प्राथमिकी में मेरा नाम नहीं था। तीन दिन बाद दिनांक 05.05.2022 को डोरण्डा थाना प्रभारी ने न्यायिक दंडाधिकारी, प्रथम श्रेणी-XIII, सिविल कोर्ट, राँची को शुद्धि पत्र भेजा और प्राथमिकी में मेरा नाम जोड़वाया (अनु.-3)। इस प्राथमिकी के अनुसंधान की प्रक्रिया में षडयंत्रपूर्वक एक अन्य प्राथमिकी संख्या 253/23, दिनांक 29.08.2023 भी मेरे विरूद्ध स्वास्थ्य विभाग ने दर्ज कराया (अनु.-4)।
त्कालीन पुलिस उपाधीक्षक, हटिया, राँची ने पर्यवेक्षण के क्रम में अनुसंधानकर्ता को कुछ स्पष्ट निर्देश दिया था। तदुपरांत राज्य सरकार ने राँची के हटिया पुलिस उपाधीक्षक, जिनके अंर्तगत डोरण्डा थाना क्षेत्र आता है, का स्थानांतरण कर दिया और उनकी जगह पर पुलिस उपाधीक्षक, श्री प्रमोद कुमार मिश्रा को पदस्थापित कर दिया। ये वही पुलिस अधिकारी है, जिन्होंने साहेबगंज जिला के चर्चित बरहरवा टोल प्लाजा कांड में अनुसंधान किये बिना मात्र 24 घंटे के भीतर आरोपी झारखण्ड सरकार के ग्रामीण विकास मंत्री श्री आलमगीर आलम एवं उनके सहयोगियों को क्लीन चिट दे दिया था। इन्होंने ही साहेबगंज की महिला दारोगा ‘रूपा तिर्की कांड’ में भी अनुचित हस्तक्षेप एवं आपत्तिजनक टिप्पणी किया था। उल्लेखनीय है कि इन दोनों कांडों की जाँच के दौरान प्रवर्तन निदेशालय द्वारा इनसे पूछताछ भी की गई है। हटिया पुलिस उपाधीक्षक के रूप में पदस्थापित होते ही श्री मिश्रा ने ऑफिसियल सीक्रेट्स एक्ट्स के अंतर्गत मेरे विरूद्ध स्वास्थ्य विभाग द्वारा लगाये गये आरोपों को सत्य करार दिया और कार्रवाई के लिए राँची के पुलिस अधीक्षक (नगर) के पास जाँच प्रतिवेदन भेज दिया। इसकी जानकारी मिलने पर मैंने राज्य के पुलिस महानिदेशक, झारखण्ड सरकार से इस मामले की जाँच किसी वरीय पुलिस पदाधिकारी से कराने के लिए दिनांक 18.05.2024 को पत्र के माध्यम से निवेदन किया है (अनु.-5)। विडम्बना है कि स्वास्थ्य मंत्री, झारखण्ड के भ्रष्ट आचरण और धन शोधन के इस मामले में राज्य सरकार ने कोई कार्रवाई नहीं किया, उल्टे इसका भंडाफोड़ करने के कारण मुझे ही प्रताड़ित करना शुरू कर दिया। यह उल्लेख अप्रासंगिक नहीं होगा कि इन प्राथमिकियों की जाँच से झारखण्ड के स्वास्थ्य मंत्री पर धन शोधन का आरोप सिद्ध हो सकता है।
- झारखण्ड के स्वास्थ्य मंत्री श्री बन्ना गुप्ता की सांठ-गांठ से स्वास्थ्य विभाग में करोड़ों रूपयों की दवाओं की खरीद काफी उँची दर पर की गई है। दवा खरीद निविदा अप्रैल, 2021 में निष्पादित हो जाने के बाद न्यूनतम दर वाले आपूर्तिकर्ताओं को आपूर्ति आदेश जारी कर दिया गया था। परंतु इस तथ्य को छुपाकर स्वास्थ्य मंत्री के आदेश पर विभाग ने भारत सरकार की दवा निर्माता कंपनियों से दवा खरीदने हेतु संकल्प राज्य सरकार के मंत्रिपरिषद को भेजा और झारखंड के वित्तीय नियमावली-235 को शिथिल करते हुए मनोनयन के आधार पर इन दवा कंपनियों से दवा खरीदने की अधिसूचना निर्गत किया (अनु.-6)। उल्लेखनीय है कि पूर्व प्रकाशित निविदा में दवा की आपूर्ति के लिए जिस दर पर दवा निर्माता कंपनियों के साथ स्वास्थ्य विभाग का करार हुआ था, उसे स्थगित कर स्वास्थ्य मंत्री श्री बन्ना गुप्ता ने उससे अधिक कीमत पर दवाओं की खरीद मनोनयन के आधार पर किया। इस मामले में 60 करोड़ रूपये से 100 करोड़ रूपये तक की चपत सरकार के खजाना पर लगी है। इस विषय में मैंने झारखण्ड विधानसभा में सवाल उठाया तो मामले पर लीपापोती करने के लिए स्वास्थ्य विभाग ने अधीनस्थ अधिकारियों की त्रिसदस्यीय जाँच समिति गठित कर दिया। उस समिति ने अभी तक जाँच प्रतिवेदन नहीं दिया है। यह भी स्वास्थ्य मंत्री की पहल पर किये गये धन शोधन का एक गंभीर मामला है, जिसकी जाँच की जा सकती है।
- झारखण्ड सरकार की कार्यपालिका नियमावली के विहित प्रावधानों का खुला उल्लंघन करते हुए श्री बन्ना गुप्ता ने अनधिकृत रूप से वैसे चिकित्सकों, सिविल सर्जनों एवं अन्य वरिष्ठ चिकित्सा पदाधिकारियों का तबादला अपने स्तर से बड़ी संख्या में किया है, जिनके स्थानांतरण-पदस्थापन-प्रतिनियुक्ति का अधिकार मुख्यमंत्री की अध्यक्षता में गठित उच्चस्तरीय समिति को है। ऐसे स्थानांतरण- पदस्थापन-प्रतिनियुक्ति की अधिसूचना मंत्री श्री बन्ना गुप्ता ने संबंधित संचिका उच्चस्तरीय समिति को भेजे बिना अपने स्तर से ही जारी कर दिया है। इस विषय को भी मैंने झारखण्ड विधानसभा में ध्यानाकर्षण के माध्यम से उठाया (अनु.-7)। वाद-विवाद के दौरान माननीय झारखण्ड विधानसभा अध्यक्ष ने संबंधित संचिका को मुख्यमंत्री के पास भेजने का नियमन दिया। परंतु मंत्री के दबाव में स्वास्थ्य विभाग ने ऐसा नहीं किया और विधानसभा अध्यक्ष के नियमन का खुला उल्लंघन किया। इस प्रकार कई वरीय चिकित्सकों और सिविल सर्जनों का थोक भाव से आये दिन स्थानांतरण होते रहा है और चिकित्सकों की अनधिकृत प्रतिनियुक्ति भी अक्सर मंत्री द्वारा की जाती रही है। ऐसे स्थानांतरण, पदस्थापन एवं प्रतिनियुक्ति का सीधा संबंध दवाओं की अनियमित खरीद एवं राजकोष के दुरूपयोग से है। इस माध्यम से मंत्री द्वारा बड़े पैमाने पर धन शोधन किया गया है, जिसकी जाँच जनहित एवं राज्यहित मंे आवश्यक प्रतीत हो रही है।
- समाचार पत्रों के माध्यम से मुझे जानकारी मिली है कि प्रवर्तन निदेशालय ने ‘आयुष्मान घोटाला’ के संबंध में जाँच आरंभ किया है। इस मामले में भी झारखण्ड के अस्पतालों से सांठ-गांठ करके केन्द्र और राज्य सरकार द्वारा प्रदत्त निधियों का बड़े पैमाने पर दुरूपयोग झारखण्ड सरकार के स्वास्थ्य मंत्री श्री बन्ना गुप्ता द्वारा किया गया हैं, जिसकी जाँच आवश्यक प्रतीत हो रही है। इसी तरह राज्य सरकार की गंभीर बीमारी उपचार योजना में भी बड़े पैमाने पर अनियमितताएं हुई हैं। इस बारे में दिनांक 17.12.2021 को मेरे द्वारा झारखंड विधानसभा में पूछे गये तारांकित प्रश्न के उत्तर में सरकार ने अनियमितताएं होना स्वीकार किया और जाँच का आश्वासन दिया, पर कोई कार्रवाई नहीं हुई (अनु.-8)।
- झारखण्ड में ‘आयुष्मान भारत-मुख्यमंत्री आरोग्य योजना’ के क्रियान्वयन में झारखण्ड स्टेट आरोग्य सोसाईटी की महत्वपूर्ण भूमिका है। सोसाईटी का गठन सरकार के स्वास्थ्य विभाग ने किया है। झारखण्ड स्टेट आरोग्य सोसाईटी ने निरूज कंसलटेंट एलएलपी के साथ दिनांक 11.01.2024 को एक एमओयू किया है। संबंधित आदेश की प्रति संलग्न है (अनु.-9)। इस एमओयू के अनुसार निरूज कंसलटेंट निम्नांकित चार कार्य करने में निःशुल्क सहयोग करेगा:-
क) Provide MIS reports to JSAS time-to-time.
ख) Involve themselves whenever and wherever required by the JSAS in
defining the processes for the successful implementation of the project.
ग) Regularly monitor the activities of the appointed Insurance Company.
घ) Assist JSAS in periodic review of the scheme performance.
वस्तुतः निरूज कंसलटेंट ही झारखण्ड सरकार की तरफ से उपर्युक्त आयुष्मान योजना के अंतर्गत इलाज करने वाले अस्पतालों को नियंत्रित कर रहा है। वह जब चाहे किसी भी अस्पताल में कोई न कोई कमी बताकर आयुष्मान योजना से बाहर कर देता है और जब चाहे उन कमियों को दूर किया हुआ दिखाकर अस्पताल में आयुष्मान योजना अंर्तगत ईलाज आरंभ करा देता है। झारखण्ड में निविदा के आधार पर नेशनल इंश्योरेंस कम्पनी का चयन आयुष्मान योजना के अंतर्गत बीमा कार्य के लिए दिनांक 23.09.2018 को किया गया था। नेशनल इंश्योरेंस कम्पनी का ‘‘री-इंश्योंरेस’’ करार पहले हेक्सा (HEXA) नामक कंपनी से था। फिलहाल री-इंश्योरेंस का करार पीक-री (Peak-Re) के साथ है। निरूज कंसलटेंट का संबंध हेक्सा के साथ भी रहा है और पीक-री के साथ भी है।
स्पष्टतः इसमें हितों का टकराव है। इस प्रकार झारखण्ड स्टेट आरोग्य सोसाईटी को निःशुल्क सहयोग देने का निरूज के साथ एमओयू करने के पीछे झारखण्ड सरकार के स्वास्थ्य मंत्री श्री बन्ना गुप्ता एवं उनके मंडली का निहित स्वार्थ है। जिन सेवाओं को निःशुल्क प्रदान करने में सहयोग करने के लिए निरूज ने झारखण्ड स्टेट आरोग्य सोसाईटी के साथ (MoU) करार किया है, उन सेवाओं के लिए मानव बल सहित आवष्यक उपकरणों की भी पर्याप्त आवष्कता होती है, जिस पर काफी खर्च होता है। फिर भी निरूज कंसलटेंट सोसाईटी को अपना सहयोग निःशुल्क दे रहा है। इसके पीछे रहस्य यह है कि निरूज आयुष्मान योजना के अंतर्गत आनेवाले अस्पतालों के साथ नापाक गठबंधन में स्वास्थ्य विभाग और झारखण्ड राज्य आरोग्य सोसाईटी का मुखौटा बना हुआ है, जिसका लाभ स्वास्थ्य मंत्री और स्वास्थ्य विभाग के कतिपय अधिकारियों तक पंहुच रहा है। यह वास्तव में ‘आयुष्मान भारत-मुख्यमंत्री जन आरोग्य योजना’ की आड़ में संगठित धन शोधन का मामला है। इसकी जाँच होने पर बड़े घोटाले का पर्दाफाश होगा। इस कारण से आयुष्मान मरीजों को जो कठिनाईयाँ झेलनी पड़ रही हैं, वे अलग हैं।
नेशनल इंश्योरंेस कम्पनी के अधीन तीन एजेंसियां झारखण्ड में काम कर रही हैं। इनके नाम है- (1) मेडि असिस्ट (Medi-Assist) (2) एम. डी. इंडिया हेल्थ इंश्योरेंस (M D India Health Insurance) और (3) सेफ-वे (Save-Way)। इनका काम क्लेम प्रोसेसिंग करना, अस्पतालों का आंतरिक अंकेक्षण करना, लाभुकों का अंकेक्षण करना और अस्पतालों के कर्मियों को प्रशिक्षण देना है। झारखण्ड में कम से कम 100 अस्पताल ऐसे है, जिनका सांठ-गांठ इस प्रक्रिया में कार्यरत इंश्योरेंस संस्थानों और निरूज कंसलटेंट के साथ है। निरूज की गहरी पैठ स्वास्थ्य विभाग और स्वास्थ्य बीमा सेवाओं की एजेंसियों के साथ बताया जाता है। इस मामले में निरूज की भूमिका की जाँच होने से स्वास्थ्य मंत्री, बीमा कंपनियों, अस्पतालों की अनैतिक सांठ-गांठ और इस माध्यम से धन शोधन करने का मामला खुलकर सामने आ सकता है।
- झारखण्ड सरकार के स्वास्थ्य विभाग में दवाओं की खरीद के साथ ही विभिन्न श्रेणियों के एंबुलेंस और अस्पतालों के लिए जरूरी उपकरणों की खरीद में भी भारी घपला-घोटाला के समाचार आ रहे हैं। झारखण्ड सरकार ने इस प्रकार की सामग्रियों की खरीद के लिए एक निगम बनाया है, जिसका नाम ‘झारखण्ड मेडिकल एंड हेल्थ इन्फ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट एंड प्रोक्योरमेंट कॉरपोरेशन लिमिटेड’ (Jharkhand Medical & Health Infrastructure Development & Procurement Corporation Limited) है। इस निगम के माध्यम से घटिया सामग्रियों की उँची कीमत पर खरीद, मानकों पर खरा नहीं उतरने वाले एंबुलेंस तथा अन्य उपकरणों की खरीद झारखण्ड सरकार कर रही है। इसके अतिरिक्त सरकार के स्तर पर भी सिविल सर्जनों के माध्यम से दवाओं की खरीद बिना किसी स्थापित मानक के हो रही है। एनएचएम (NHM) के माध्यम से उपलब्ध कराई जानेवाली निधि से दवा खरीद के अलग मानक है और राज्य सरकार से प्राप्त होने वाली निधि से दवा खरीद के अलग मानक हैं।
ग्रामीणों को डोर-स्टेप चिकित्सा सुविधा मुहैया कराने के लिए खरीदी गईं मोबाईल मेडिकल युनिट्स में भी काफी भ्रष्टाचार के समाचार आये दिन समाचार पत्रों में छपते रहते हैं। खरीदी गई एंबुलेंस क्षेत्र में चलते हुए कम और नेशनल हेल्थ मिशन के कार्यालय परिसर में खड़ा अधिक दिखाई पड़ती है। इससे न केवल केन्द्र सरकार और राज्य सरकार की अनुदान निधियों का दुरूपयोग हो रहा है बल्कि मरीजों की सेवा में भी भारी कोताही हो रही है। इस मामले की विस्तृत जाँच करने पर करोड़ों रूपया का वारा-न्यारा सामने आ सकता है, जिसका सीधा संबंध स्वास्थ्य मंत्री और उनके कार्यालय में कार्यरत सहायक कर्मियों के साथ है।
- इस पत्र की उपर्युक्त कंडिका-1 में उल्लेख है कि कोविड प्रोत्साहन राशि घोटाला का पर्दाफाश करने के कारण दो एफआईआर स्वास्थ्य मंत्री श्री बन्ना गुप्ता के आदेश से मेरे विरूद्ध स्वास्थ्य विभाग ने राँची के डोरण्डा थाना में किया है। पुलिस उपाधीक्षक, हटिया के पद पर श्री प्रमोद कुमार मिश्रा के पदस्थापन के उपरांत सरकार के पुलिस तंत्र का दुरूपयोग स्वास्थ्य मंत्री श्री बन्ना गुप्ता ने किया है। अनुसंधान की अवधि में पुलिस उपाधीक्षक हटिया, पुलिस अधीक्षक (नगर), राँची और वरीय पुलिस अधीक्षक, राँची के मोबाईल फोन पर उनके द्वारा दर्जनों बार फोन कर दबाव बनाया गया है, जिसकी जाँच से वास्तविकता सामने आ जायेगी। उल्लेखनीय है कि इसी मामले में उन्होंने मेरे विरूद्ध चाईबासा के एमपी-एमएलए कोर्ट में मानहानि का एक मामला संख्या 121/2022 दिनांक 06.05.2022 भी दर्ज कराया है। इस मामले में अबतक आठ तारीखें पड़ चुकी हैं, परन्तु किसी भी तारीख पर मंत्री महोदय अपना बयान दर्ज कराने के लिए कोर्ट में उपस्थित नहीं हुए हैं। कोर्ट ने आगामी 30 सितम्बर, 2024 को 9वीं तारीख दिया है। इस मामले में मुकदमा करने के बाद कोर्ट द्वारा दी गई तारीखों पर वे इसलिए उपस्थित नहीं हो रहे हैं कि उनके किये की पोल खुल जाएगी।
- स्वास्थ्य मंत्री श्री बन्ना गुप्ता ने अवैध तरीका से प्रतिबंधित श्रेणी की ‘जी-44 ग्लॉक पिस्तौल’ की खरीद कोलकाता के एक शस्त्र विक्रेता से की है। जिस पिस्तौल की उन्होंने खरीद की है उस समय और आज भी यह पिस्तौल किसी भी आम नागरिक द्वारा नहीं खरीदी जा सकती है। इस प्रतिबंधित पिस्तौल को अवैध रूप से खरीदने और अभी भी रखने के बारे में मेरे द्वारा लिखित सूचना दिये जाने के बाद भी पूर्वी सिंहभूम जिला उपायुक्त, वरीय पुलिस अधीक्षक और राज्य सरकार द्वारा इसकी जाँच नहीं कराई जा रही है।
- एक महिला के साथ स्वास्थ्य मंत्री, श्री बन्ना गुप्ता की अश्लील वार्ता का विडियो क्लिप सोशल मिडिया (ट्विटर) में वायरल होने के बाद स्वास्थ्य मंत्री श्री बन्ना गुप्ता ने जमशेदपुर के साईबर थाना में दिनांक 23.04.2023 को अज्ञात के विरूद्ध एक प्राथमिकी दर्ज कराया। इस प्राथमिकी के अनुसंधान के क्रम में मुझे भी इस मामले में आरोपित करने की साजिश उनके द्वारा की जा रही है। यह मामला न केवल उनके चारित्रिक अवगुण का परिचायक है बल्कि इस प्रक्रिया में रूपयों का अवैध लेन-देन भी किया गया है। आश्चर्यजनक रूप से मंत्री द्वारा किये गये प्राथमिकी की जाँच पूरा करने के प्रति झारखण्ड पुलिस सचेष्ट नहीं है। इसकी जाँच होने पर धन के अवैध लेन-देन का मामला सामने आएगा और मंत्री द्वारा किये जा रहे धन शोधन का प्रमाण भी मिलेगा।
- स्वास्थ्य मंत्री, झारखण्ड, श्री बन्ना गुप्ता ने पूर्वी सिंहभूम जिला के बहरागोड़ा प्रखण्ड में बड़े पैमाने पर कृषि भूमि की खरीद किया है और वहाँ करीब 50 एकड़ से अधिक क्षेत्रफल में एक फॉर्महाउस बनाया है। भूमि खरीद एवं हस्तांतरण का यह मामला भी मंत्री की अवैध कमाई और धन शोधन से संबंधित है। इसकी जाँच होने से मंत्री द्वारा अवैध रूप से हस्तगत की गई अनेक परिसम्पतियों का भंडाफोड़ संभव है।
उपर्युक्त बिन्दुओं की ओर आपका ध्यान मैं इसलिए आकृष्ट कर रहा हूँ कि अबतक झारखण्ड में मुख्यमंत्री, मंत्रियों एवं वरीय प्रशासनिक अधिकारियों के विरूद्ध प्रवर्तन निदेशालय की जाँच में बड़े पैमाने पर अवैध धन जप्त हुआ है, अवैध जमीन हस्तांतरण के मामले का भंडाफोड़ हुआ है और इन पर कार्रवाई भी हुई है। इसी क्रम में यदि प्रवर्तन निदेशालय श्री बन्ना गुप्ता, स्वास्थ्य मंत्री, झारखण्ड के विरूद्ध भी जाँच की विधिसम्मत प्रक्रिया आरंभ करने का निर्णय लेता है तो बड़े पैमाने पर अवैध धन का खुलासा हो सकता है और स्वास्थ्य मंत्री के रूप में पद का दुरूपयोग कर की गई अनियमितताओं के माध्यम से श्री बन्ना गुप्ता द्वारा किये गये धन शोधन का भी खुलासा हो सकता है। अनुरोध है कि उपर्युक्त विवरण के आलोक में जाँच की विधिसम्मत कार्रवाई करने का निर्देश देने की कृपा करना चाहेंगे।