जनसंवाद डेस्क/खरसावां (रिपोर्ट- उमाकांत कर): कुचाई प्रखण्ड के मुण्डा- मानकी सभागार में ग्राम सभा मंच कचाई, का बैठक किया गया। बैठक का अध्यक्षता श्री सुखराम सिंह मुण्डा ने किया। बैठक में कुल 35 ग्राम सभा के प्रतिनिधि व ग्रामीण मुण्डा सह ग्राम सभा के पदेन अध्यक्ष उपस्थित थे। बैठक में सर्वसम्मति से निर्णय लिया गया। मौके पर मुख्य अतिथि राहुल बान्ड्रा ने कहा कि झारखंड सरकार अनुसूचित क्षेत्रों के लिए पेसा नियमावली तैयार करने का प्रक्रिया शुरू की है। जो सराहनीय है लेकिन झारखंड पंचायती राज नियमावली 2001 के तहत प्रारुप तैयार किया है।
नियमावली 2022 को तैयार की है जिसे 2023 को विधानसभा में पारित कर लिया गया है तथा ग्राम सभा में पंचायत सेवक को सचिव के पर रखा गया है जिसे हटाया जाये।सोहन लाल कुम्हार ने कहा कि स्थानीय नीति में 1930-32 से 1965 तक के भू- सर्वे खातियान को आधार माना जाये। लेकिन शर्त में यह रखा जाये कि 1930-32 से 1965 तक के सर्वेक्षण खातियान में आवेदकों के नामांकित रहते हुए भी उसे स्थानीयता मान्य नहीं होगा यदि अपने या दादा परदादा के नाम पर जमीन दर्ज हो और उस जमीन पर दखल न हो उपयोग न करता हो तथा मालिक के पास लगान जमा न करता हो। यदि ऐसा नहीं लिखा जाएगा तो बहुत सारे राजा महाराजाएं भी कई गांव के दावेदार हुआ करेंगे।
कुचाई अंचल के विभिन्न ग्रामों के जंगल का भरपूर बिनाश हो रहा है तथा पर्यावरण पर बुरा प्रभाव पड़ रहा है। वन विभाग तथा खनन विभाग निकम्मा हो गये हैं क्योंकि इन्ही विभाग के पदाधिकारियों के मिलिभगत से जंगल से अबैध रुप से जंगल को बर्बाद किया जा रहा है। वहीं राहुल बान्ड्रा ने उपायुक्त महोदय तथा झारखंड सरकार को ईमानदारी के साथ उपरोक्त ध्यानाकृष्ट विन्दुओ पर उपयुक्त कर्रवाई करने का आग्रह किया। मौके पर सोहन लाल कुम्हार ने उपायुक्त महोदय को ध्यानाकृष्ट कराते हुए कहा कि कि अनुसूचित जनजाति एवं अन्य परंपरागत वन निवासी ( वनों पर अधिकारों की मान्यता) अधिनियम 2006 के नियम 2008 के संशोधित नियम 2012 के तहत विधिसम्मत तैयार कर वनाधिकार प्रमाण-पत्र बितरण करे क्योंकि झारखण्ड सरकार ने 2020 को अनन-फनन में सरायकेला-जिला में कुल 47 ग्राम सभाओं को सामुदायिक वनाधिकार प् निर्गत किये जिसे सुधार करने हेतु मुख्यमंत्री सचिवालय,झारखंड, रांची को 20 फरवरी 2021 को अपील के रुप में करीब 2 किलो का फाईल सौपा गया है जिस पर अभी तक करवाई नहीं किया गया है। साथ ही साथ जिन-जिन गांव में वनाधिकार कानून 2006 के तहत अभी तक सामुदायिक तथा व्यक्तिगत दावा पत्र नहीं भरे हैं उन्हें भरने का भी प्रेरित किया गया।
बैठक में मुख्य रूप से भरत सिंह मुण्डा,गणेश भूमिज,शिवनाथ सिंह मुण्डा,आलोक मानकी,रावकन बांकिरा, कृषण गोप,सुरेश सोय,कारु मुण्डा,मंगल सिंह मुण्डा,लुदरी,गोपाल सिंह मुण्डा,रासाय मुण्डा,मजुरा मुण्डा, कृष्ण मुण्डा,पाण्डे मुण्डा, आदि उपस्थित थे।