सोशल संवाद/जमशेदपुर: कदमा स्थित प्रकृति विहार में 14 से 21 फरवरी तक जोहार हाट के दूसरे संस्करण का आयोजन किया जायेगा। इस महीने, आदिवासी केंद्रित प्रदर्शनी माघे परब, बहा और होली की थीम पर आधारित होगी, ये सभी आदिवासी समुदाय के लिए महत्वपूर्ण त्योहार हैं। आगंतुक इस थीम का अनुभव प्रदर्शनी की साज-सज्जा के साथ-साथ विभिन्न उत्पादों, व्यंजनों और प्रस्तुतियों के माध्यम से कर सकेंगे।
जोहार हाट की परिकल्पना टाटा स्टील फाउंडेशन द्वारा हर महीने एक सप्ताहिक प्रदर्शनी के माध्यम से पूरे भारत की जनजातियों की कला, शिल्प, व्यंजन और संस्कृति को प्रदर्शित करने के लिए एक समर्पित स्थान के रूप में की गई थी। इस साल जनवरी में आयोजित जोहार हाट के पहले संस्करण में 6 जनजातियों का प्रतिनिधित्व करने वाले 6 राज्यों के 21 लोगों ने भाग लिया।
इस महीने के जोहार हाट में लगभग 8 स्टॉल लगेंगे, जिसमें 5 राज्यों के प्रतिभागी 11 से अधिक जनजातियों का प्रतिनिधित्व करेंगे। भाग लेने वाले संगठनों में संथाल/भूमिज जनजाति का प्रतिनिधित्व करने वाली प्रगति उद्योग महिला समिति, बोडो जनजाति का प्रतिनिधित्व करने वाली सबाई घास, गोंड जनजाति का प्रतिनिधित्व करने वाला बांस और तुम्बा शिल्प कला, रेंगमा जनजाति का प्रतिनिधित्व करने वाली मैसर्स वीविंग एंड निटिंग, संथाल/सौरा जनजाति का प्रतिनिधित्व करने वाला अकाख्यसा जनजातीय उत्पादक समूह, उरांव जनजाति का प्रतिनिधित्व करने वाला लुगा, महाली जनजाति का प्रतिनिधित्व करने वाली आजीविका मां सरस्वती समूह और लोढ़ा, मुंडा और संथाल जनजातियों का प्रतिनिधित्व करने वाली मंडी एडप्पा शगुन महिला समिति शामिल हैं।
प्रदर्शनी में खड़िया जनजाति के प्रतिभागियों द्वारा आयोजित ‘झारखंड के खाद्य पदार्थों का फ्यूजन’ स्टॉल और संथाल/भूमिज जनजातियों के प्रतिभागियों द्वारा आयोजित एक ऑर्गेनिक गुलाल और ट्राइबल टैटू स्टॉल भी होगा।