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स्कूलों में युध्द की कहानी युध्दवीरों की जुबानी कार्यक्रम आयोजित कर ‘विजय सन्देश’ पढ़ मनाया गया विजय दिवस

By Goutam

Published on:

 

विजय दिवस

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जनसंवाद, जमशेदपुर: भारत की पाकिस्तान पर 16 दिसंबर 1971 को हुई ऐतिहासिक जीत के उपलक्ष्य में पूर्व सैनिकों सेवा परिषद् ने शनिवार को शहर के विद्यालयों में युध्द की कहानी युध्दवीरों की जुबानी कार्यक्रम कर विजय दिवस मनाया।

“इतनी सी बात हवाओं को बताए रखना,
रोशनी होगी, चिरागों को चलाए रखना
लहू देकर जिसकी हिफाजत की है हमने,
उस तिरंगे को भी दिल में बसाये रखना।”

उपर्युक्त बात अखिल भारतीय पूर्व सैनिक सेवा परिषद, जमशेदपुर द्वारा विद्यार्थियों को विजय दिवस के अवसर पर सुनाए गये विजय गाथा में कहि गयी।16 दिसंबर 1971 को बांग्लादेश युध्द में पाकिस्तान पर भारत की ऐतिहासिक जीत के उपलक्ष्य में पूर्व सैनिकों सेवा परिषद् ने शनिवार को शहर के विद्यालयों में युध्द की कहानी युध्दवीरों की जुबानी कार्यक्रम कर विजय दिवस मनाया। लगभग 5 स्कूलों में पूर्व सैनिकों और प्राचायों ने विजय संदेश पढ़कर सुनाए।

बच्चों को बताया कि हार बाद किस तरह पाकिस्तान के जनरल नियाजी ने 93,000 सैनिकों के साथ भारत के लेफ्टिनेट जेनरला जगजीत सिंह अरोड़ा के समक्ष आत्मसमर्पण किया था और इसके परिणामस्वरूप विश्व के नक्शे पर एक नए देश बांग्लादेश का जन्म हुआ। अखिल भारतीय पूर्व सैनिक सेवा परिषद की ओर से आयोजित कार्यक्रम मे जमशेदपुर स्कूलों मे विजय सन्देश पढ़ 1971 के युद्दवीरो में नमन किया गया, जिसम AIWC ACADEVMY ऑफ एसक्ललेंट, बरीडीह में वरुण कमार, st जोशल हाइस्कूल ऑफ सुखविंदर सिंह नेताजी सुभाष बोस आवासी हाई स्कूल ने उमेश कुमार सिंह हिंदुस्तान मित मंडल गोलमुरी ने सत्य प्रकाश ,एनटीटीएफ गोलमुरी में पूर्व सैनिक रमेश राय, हिंदुस्तान मित्र मंडल मध्य विद्यालय मे सत्यप्रकाश सिंह ने विजय सन्देश पढ़ 1971 की जीत को याद किया।

हिंदुस्तानी सेना के वीरता शौर्य और पराक्रम की कहानी हैं वर्ष 1971 का भारत पाकिस्तान युद्ध। 03 से 16 दिसम्बर यानी मात्र 14 दिनों की इस लड़ाई में हमारी सैन्य रणनीति और सैनिकों के बुलंद हौसलों की वजह से 93000 से भी ज्यादा पाकिस्तानी सैनिकों को घुटने टेकने पर मजबूर कर दिया और दुनिया के युद्ध इतिहास का एक अविस्मर्णीय दिन बन गया,जिसे हम हिंदुस्तानी विजय दिवस के रूप में मनाते हैं। युद्ध इतिहास में ऐसा पहली बार हुआ कि किसी देश की सेना ने अपने पराक्रम से सिर्फ इतिहास ही नहीं रचा बल्कि दुनिया के नक्शे पर एक नए देश बांग्लादेश का उदय कर भूगोल भी बदल दिया। हमें उन वीर शहीदों को आज नमन करना चाहिए।

आज विजय सन्देश के माध्यम से संगठन के सदस्यों ने शहर के 5 विद्यालयों में विजय संदेश पढ़कर सुनाया और शूभकामनाएँ प्रेषित की। अन्य विद्यालयों में वहाँ के शिक्षकों ने विजय संदेश बच्चों को सुनाया। आम मैदान से 22 दिसंबर को पूर्व सैनिक सेवा परिषद शौर्य पराक्रम यात्रा निकाल विजय दिवस के शौर्यमय अवसर पर शहीदों को श्रद्धांजली अर्पित करेगी। विजय सन्देश पढ़ युवाओं में भारतीय सेना की पराक्रम एवं शौर्य को जिवंत रखना ही मुख्य लक्ष्य है।

मौके पर भारतमाता की जय और वीर शहीद अमर रहें के उदघोष से वातावरन में ओज भर दिया। कार्यक्रम का नेतृत्व संगठन के अध्यक्ष विनय यादव एवं महामंत्री जितेंद्र सिंह के द्वारा किया गया।

 

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