जनसंवाद डेस्क: सांसद बिद्युत बरण महतो ने आज लोकसभा में झारखंड राज्य में सुखाड़ का मामला उठाते हुए इसे सूखाग्रस्त क्षेत्र घोषित करने की मांग किया है। शुक्रवार को सदन में नियम 377 के अधीन मामले को उठाते हुए उन्होंने कहा कि वे एक अति महत्वपूर्ण विषय की ओर आकर्षित कराना चाहते हैं। जमशेदपुर संसदीय क्षेत्र के अंतर्गत पूर्वी सिंहभूम जिला के साथ-साथ झारखण्ड राज्य के अन्य जिलों में भी बारिश नहीं होने के कारण सुखाड़ जैसी स्थिति उत्पन्न हो गई है।
इस वर्ष एक जून 2023 से जुलाई माह तक 238.8 मिमी बारिश ही अभी तक हुईं हैं जबकि इस समय तक 455.9 मिमी बारिश होनी चाहिए थी। झारखण्ड के 24 जिलों में बारिश बहुत कम हुई है विशेषकर पूर्वी सिंहभूम, सरायकेला-खरसावां, पलामू, गढ़वा, लातेहार, चतरा, गोड्डा, साहेबगंज एवं पाकुड़ में इस दौरान बारिश बिलकुल ही नही हुई है तथा पूरे झारखंड में मानसून के आने से अभी तक लगभग 48% कम बारिश हुई है।
विदित है कि राज्य की 80 प्रतिशत आबादी कृषि पर ही निर्भर करती है। वर्षा की कमी के चलते विचड़ा खेत में ही सूख गया। मक्का एवं तिलहन फसल होने की भी कोई उम्मीद नहीं है। वर्ष 2023-24 के लिए खरीफ मौसम के दौरान बारिश में भारी कमी को देखते हुए झारखण्ड राज्य को सुखाड़ घोषित करने तथा आने वाले महिनों में राज्य में खाने-पीने के सामानों का संकट के साथ-साथ पशुओं को चारा प्रबन्ध कराने के लिए आवश्यक कदम उठाये जाने की आवश्यकता है।
सांसद श्री महतो ने कहा कि सुखाड़ के कारण झारखण्ड के किसानों को हुई आर्थिक क्षति का आकलन, राज्य के फसल पैटर्न का विश्लेषण करने एवं राज्य के वर्षा पैटर्न में बदलाव के चलते वैकल्पिक फसल पैटर्न और विधियों के लिए एक विशेष टास्क फोर्स का गठन करने की भी आवश्यकता है। अतः वे केन्द्र सरकार से मांग करते हैं कि झारखंड राज्य के किसानों को हुई आर्थिक क्षति का आकलन करते हुए सुखाड़ क्षेत्र घोषित किया जाए।