जमशेदपुर / Balram Panda: घाटशिला विधानसभा उपचुनाव के प्रचार की अंतिम घड़ी में भाजपा नेता एवं पूर्व मुख्यमंत्री चंपाई सोरेन मीडिया के समक्ष भावुक हो उठे। उन्होंने अपनी बात रखते हुए कहा कि आज उनका दर्द, केवल उनकी व्यक्तिगत पीड़ा नहीं, बल्कि आदिवासी समाज के सम्मान और अधिकारों के प्रति सरकार की उदासीनता का दर्पण है.
प्रचार के दौरान दिए बयान को उन्होंने एक आंदोलनकारी के प्रति अपमान बताया. पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि अभियान के समय हमने अपने परिवार-बच्चों के साथ जमीन पर चटाई बिछाकर सोया था, लेकिन आज अपमान के बाद मैंने इतने आंसू नहीं रोए जितना आज मेरे आँखों से निकल रहे हैं.
उन्होंने विशेष रूप से हेमंत सोरेन की सरकार पर आरोप लगाया कि आदिवासियों के आंदोलनकारियों-सगों पर लाठीचार्ज कराया गया, जो शर्मनाक है. उन्होंने यह भी कहा कि सीएम के उस बयान से वे गहराई से आहत हुए हैं जिसमें उन्हें “आंदोलनकारी” कहकर छोटा दिखाया गया. उन्होंने कहा कि आंदोलनकारियों को बैल कह देना न सिर्फ अपमानजनक है, बल्कि यह सरकार की आदिवासी-विरोधी मानसिकता को उजागर करता है.
वहीं, पूर्व मुख्यमंत्री चम्पाई सोरेन ने सवाल उठाया कि इस सरकार ने अब तक आदिवासियों, किसानों और मजदूरों के लिए क्या किया है? उनका यह आक्रोश सिर्फ अपनी पीड़ा का नहीं, बल्कि उन हजारों आदिवासियों की पीड़ा का स्वर भी है जिन्हें अधिकारों के लिए लंबी लड़ाई लड़नी पड़ी, और आज उन्हें असमर्थ, अनसुना महसूस किया जा रहा है.
इस प्रेस कॉन्फ्रेंस में पार्टी के अन्य प्रमुख नेताओं ने भी चंपाई सोरेन का समर्थन किया और घोषणा की उपचुनाव के अंतिम दिन तक प्रचार-कार्य पूरी ताकत से जारी रहेगा.















