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स्मार्ट तकनीक के साथ जल प्रबंधन में टाटा स्टील एफएएमडी की अग्रणी पहल: जोडा फेरो एलॉय प्लांट में रियल-टाइम मॉनिटरिंग और डेटा एनालिटिक्स से 40% पानी की खपत में आई कमी

By Goutam

Published on:

 

टाटा स्टील एफएएमडी

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जनसंवाद, भुवनेश्वर : वैश्विक जल संकट की चुनौतियों को ध्यान में रखते हुए, टाटा स्टील के फेरो एलॉयज एंड मिनरल्स डिवीजन (एफएएमडी) ने सतत जल प्रबंधन की दिशा में एक महत्वपूर्ण पहल की है। खनन कार्यों में पानी की खपत को कम करने और जल संरक्षण को बढ़ावा देने के लिए एफएएमडी नवोन्मेषी और प्रभावी समाधान अपना रहा है, जो सस्टेनेबिलिटी की ओर उसकी मजबूत प्रतिबद्धता को दर्शाता है।

खनन गतिविधियों के लिए अत्यधिक जल उपयोग और जल संसाधनों पर गंभीर दबाव डालने की आलोचनात्मक छवि के बीच, टाटा स्टील ने एक प्रभावी समाधान के रूप में स्मार्ट जल प्रबंधन प्रणाली लागू की है। इस उन्नत प्रणाली में आईओटी सेंसर, डेटा एनालिटिक्स और स्वचालन जैसी अत्याधुनिक तकनीकों का उपयोग किया गया है। यह प्रणाली पानी के प्रवाह, डिस्ट्रीब्यूशन और खपत की रीयल-टाइम निगरानी और डेटा संग्रह को सक्षम बनाती है, जिससे असक्षमताओं को दूर करते हुए जल की बर्बादी पर प्रभावी रूप से नियंत्रण किया जा रहा है।

कंपनी ने बेंगलुरु स्थित औद्योगिक जल प्रबंधन फर्म फ्लक्सजेन सस्टेनेबल टेक्नोलॉजीज के साथ साझेदारी की है और अपने वाटर सर्किट को पूरी तरह से डिजिटल बनाया है। एफएएमडी के बुनियादी ढांचे में रणनीतिक रूप से सेंसर और वाटर मीटर लगाए गए हैं, जो उपयोगी और कार्रवाई योग्य डेटा एकत्र करते हैं। इस प्रणाली के इंटरएक्टिव वेब और मोबाइल एप्लिकेशन रीयल-टाइम जानकारी प्रदान करते हैं, जिससे समय पर आवश्यक सुधारात्मक कदम उठाना संभव हो जाता है। इसके माध्यम से न केवल जल उपयोग में कुशलता लाई जा रही है, बल्कि सीमित जल संसाधनों पर निर्भरता को भी न्यूनतम किया जा रहा है।

कंपनी के जल प्रबंधन में समर्पित प्रयासों को रेखांकित करते हुए, एफएएमडी के एक्जीक्यूटिव-इन-चार्ज पंकज सतीजा ने कहा, “जैसा कि हम सभी जानते हैं, पानी एक मूल्यवान और सीमित संसाधन है, और इसका प्रभावी प्रबंधन आज की आवश्यकता है। पर्यावरण संरक्षण और जिम्मेदार संसाधन प्रबंधन के प्रति हमारी प्रतिबद्धता के तहत, हम सतत जल प्रबंधन और जल खपत के अनुकूलन में सक्रिय भूमिका निभा रहे हैं। तकनीक का लाभ उठाते हुए हमने कई नवोन्मेषी पहल शुरू की हैं और इस दिशा में नई संभावनाओं की खोज जारी है।”

पानी के उपयोग को अनुकूलित करने के साथ-साथ, टाटा स्टील जल की गुणवत्ता प्रबंधन के प्रति भी पूरी तरह से समर्पित है। कंपनी ने अपने सुकिंदा क्रोमाइट माइन में 4500 KL/घंटा क्षमता वाला अत्याधुनिक एफ्लुएंट ट्रीटमेंट प्लांट (ईटीपी) स्थापित किया है, जो औद्योगिक अपशिष्ट और सतही बहाव को प्रभावी ढंग से शुद्ध करता है। इसके अतिरिक्त, कंपनी ने सरुआबिल और कमरदा क्रोमाइट माइन में 380 KL/घंटा क्षमता के ईटीपी भी स्थापित किए हैं। साथ ही, सरुआबिल क्रोमाइट माइन में 1200 KL/घंटा क्षमता का एक और ईटीपी लगाने का कार्य प्रगति पर है। ये अत्याधुनिक ईटीपी यह सुनिश्चित करते हैं कि डिस्चार्ज किया गया पानी ओडिशा राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (ओएसपीसीबी) द्वारा निर्धारित सख्त मानकों का पालन करे। इसके अलावा, इस शुद्ध पानी का उपयोग बागवानी और धूल नियंत्रण के लिए किया जा रहा है, जिससे संसाधनों का सतत प्रबंधन सुनिश्चित होता है।

कंपनी की खदानों में जल गुणवत्ता की रीयल-टाइम निगरानी के लिए एक उन्नत डेटा संचार प्रणाली स्थापित की गई है, जो सेंसर-आधारित एनालाइजर से जुड़ी है। यह प्रणाली Cr+6, टोटल सस्पेंडेड सॉलिड्स (टीएसएस) और pH स्तर की सटीक और त्वरित जानकारी प्रदान करती है। इसके अतिरिक्त, टाटा स्टील ने पर्यावरणीय निगरानी को और सुदृढ़ बनाने के लिए एनएबीएल-मान्यता प्राप्त थर्ड पार्टी एजेंसी को शामिल किया है। ये कदम न केवल जल प्रबंधन में पारदर्शिता बढ़ाते हैं, बल्कि सतत विकास के प्रति कंपनी की मजबूत प्रतिबद्धता को भी रेखांकित करते हैं।

सुकिंदा क्रोमाइट खदान कॉलोनी के घरेलू अपशिष्ट जल के पूर्ण उपचार के लिए 1000 केएलडी क्षमता वाला एक उन्नत सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट (एसटीपी) स्थापित किया गया है। इस अत्याधुनिक एसटीपी में ग्रिट चेंबर, एयरेशन नेटवर्क, सेटलिंग टैंक, प्रेशर फिल्टर, एक्टिवेटेड कार्बन फिल्टर, क्लोरीनेशन, डीस्लजिंग, और स्लज ड्राइंग बेड जैसी उच्च गुणवत्ता वाली सुविधाएं शामिल हैं। यह एसटीपी जल गुणवत्ता के सभी मानकों को सुनिश्चित करते हुए प्रभावी ढंग से कार्य कर रहा है, जैसा कि बोर्ड द्वारा निर्धारित किया गया है। उपचारित जल का पुनः उपयोग वृक्षारोपण और बागवानी के लिए किया जा रहा है, जिससे प्राकृतिक संसाधनों का संरक्षण और सस्टेनेबिलिटी की दिशा में एक और महत्वपूर्ण कदम उठाया गया है।

इसके साथ ही, कंपनी ने जोड़ा स्थित अपने फेरो एलॉय प्लांट (एफएपी) में जल संरक्षण के लिए नवोन्मेषी उपाय विकसित कर जल खपत को न्यूनतम कर दिया है। उपचारित अपशिष्ट जल और स्क्रबर तालाब के पानी को पुनः उपयोग में लाकर, इस प्लांट ने जल खपत में 40% से अधिक की कमी हासिल की है। यह पहल न केवल लागत में उल्लेखनीय बचत सुनिश्चित करती है, बल्कि पर्यावरणीय प्रभाव को भी काफी हद तक कम करती है।

 

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