जनसंवाद, खरसावां (उमाकांत कर): कुचाई प्रखंड क्षेत्र के छोटासेगोई पंचायत अंतर्गत बड़ाबांडी में शनिवार को द्वितीय वनाधिकार पत्थरगाड़ी स्थापना दिवस हर्षोल्लास के साथ मनाया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता आशोक मानकी ने की।
बड़ाबांडी को वर्ष 2024 में कुल 306.04 एकड़ वन भूमि पर सामुदायिक वनाधिकार प्रमाण-पत्र प्रदान किया गया है। कार्यक्रम का विषय प्रवेश सोहन लाल कुम्हार ने किया और सभी ग्रामों में बोर्डगाड़ी करने का आवाहन किया। उन्होंने कहा कि वनाधिकार कानून 2006, नियम 2008 एवं संशोधित नियम 2012 के तहत सामुदायिक वन संसाधन के संरक्षण, संवर्धन, पुनरुत्थान और प्रबंधन का अधिकार ग्राम सभाओं को है।

जंगल आंदोलनकारी अलेस्टेयर बोदरा ने कहा कि “जंगल ही जीवन है और यही हमारी जीविकास्त्रोत है।” उन्होंने राज्य सरकार पर नाराजगी जताई कि मुख्यमंत्री स्वयं वन मंत्री होने के बावजूद सामुदायिक वनाधिकार प्रमाण-पत्रों का वितरण नहीं हो रहा।
सामाजिक कार्यकर्ता ग्लेक्शन डुंगडुंग ने कहा कि सरकार कई कानून बनाती है, लेकिन धरातल पर उनका क्रियान्वयन कमजोर है। उन्होंने बताया कि पंचायत उपबंध (अनुसूचित क्षेत्रों पर विस्तार) अधिनियम 1996 (PESA) लागू होने के बावजूद झारखंड में उसकी नियमावली तैयार नहीं की गई है, जबकि अन्य राज्यों ने इसे छह माह के भीतर लागू कर दिया।
जेम्स हेरेन्ज ने कहा कि झारखंड में वनाधिकार कानून 2006 का क्रियान्वयन संतोषजनक नहीं है। उन्होंने मांग की कि राज्य सरकार अविलंब पेसा नियमावली तैयार करे ताकि अनुसूचित क्षेत्रों में आदिवासी समाज को उनके अधिकार मिल सकें।
आईसीएफजी की सूरजमनी भगत ने सुझाव दिया कि “गांव-गांव में वनाश्रित महिला समूह बनाकर वनोपजों के संग्रहण एवं विपणन कार्य को बढ़ावा दिया जाए।” उन्होंने कहा कि उनकी संस्था विपणन में तकनीकी मार्गदर्शन देगी।
एलेक्स टोप्पो ने लोगों से जैविक खेती अपनाने और स्वस्थ जीवनशैली बनाए रखने की अपील की। वहीं, ग्लेक्शन डुंगडुंग ने कहा कि “जंगल पर हमारा अधिकार है क्योंकि आदिवासी समाज सदियों से इसकी रक्षा कर रहा है।”
उन्होंने यह भी कहा कि “सिर्फ माईया सम्मान और धोती-साड़ी से नहीं, बल्कि सामुदायिक वन संसाधनों पर वास्तविक वनाधिकार प्रमाण-पत्र देकर ही बिरसा मुंडा का सपना साकार होगा।”
कार्यक्रम में बड़ी संख्या में ग्रामीण शामिल हुए जिनमें विधायक प्रतिनिधि धर्मेंद्र सिंह मुंडा, सचिव मुन्ना सोय, मुखिया करम सिंह मुंडा, मंगल सिंह मुंडा, शास्त्री सांगा, भरत सिंह मुंडा, तुलसी मुंडा, राधाकृष्ण सिंह मुंडा, जेम्स हेरेन्ज, अलेस्टेयर बोदरा, एलेक्स टोप्पो, सूरजमनी भगत सहित कई समाजसेवी और जनप्रतिनिधि मौजूद रहे।
कार्यक्रम का उद्देश्य वन संरक्षण, सामुदायिक अधिकार और आदिवासी स्वशासन की भावना को मजबूत करना था।

















