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विधायक सरयू राय ने अधिकारियों पर निकाली भड़ास; कहा- बांस पर तार दौड़ाकर दुर्घटना को आमंत्रित करता है बिजली विभाग, कर्मचारी-अधिकारी फोन नहीं उठाते, बीपीएल श्रेणी के 25 प्रतिशत बच्चों को निजी स्कूलों में दाखिला नहीं मिलता

By Goutam

Published on:

 

सरयू राय

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जनसंवाद, जमशेदपुर। जिला विकास समन्वय एवं अनुश्रवण समिति (दिशा) की शनिवार को उपायुक्त कार्यालय सभागार में बैठक हुई। इस बैठक में शामिल जमशेदपुर पूर्वी के विधायक सरयू राय ने कहा कि दिशा का जो अनुपालन प्रतिवेदन है, वह सही नहीं है। श्री राय ने बिजली विभाग के संदर्भ में यह नाराजगी जताई।

बैठक में श्री राय ने बिजली विभाग की खिंचाई करते हुए कहा कि हमारे इलाके में बांस पर तार दौड़ा कर बिजली दे दी जाती है। इससे दुर्घटना की आशंका बढ़ जाती है। उन्होंने कहा कि बिजली विभाग के पदाधिकारी-कर्मचारी फोन नहीं उठाते। फोन बंद भी रखते हैं। फिर ये फोन रखते क्यों हैं? उन्होंने कहा कि बढ़ती आबादी के मद्देनजर अब बिजली विभाग को अपनी क्षमता और बढ़ाने की नितांत जरूरत है। उन्होंने कहा कि बिजली विभाग की ऐसी हालत है कि कहीं पोल टेढ़ा हो गया है तो कहीं किसी के मकान से पोल सट गया है। शिकायत करने के बाद भी बिजली विभाग के कानों पर जूं नहीं रेंगती। सवाल यह है कि आखिर ये लोग करते क्या हैं? एक कनिष्ठ अभियंता के अधीन नौ-नौ बिजलीकर्मी रहते हैं, इसके बावजूद बिजली विभाग का काम सही नहीं हो पाता है।

श्री राय ने जिला शिक्षा अधीक्षक से जानना चाहा कि डीएमएफटी योजना से विद्यालयों में कार्य कराने का क्या क्राइटेरिया है? श्री राय ने कहा कि उन्होंने जमशेदपुर पूर्वी विधानसभा क्षेत्र के 21 विद्यालयों में चहारदीवारी, शौचालय सहित अन्य कार्यों के लिए अनुशंसा भेजी थी पर विभाग ने कोई कार्य नहीं किया।

सरयू राय ने कहा कि बीपीएल श्रेणी के बच्चों को निजी विद्यालयों में आरटीई (राइट टू एजुकेशन) के तहत 25 प्रतिशत सीट पर नामांकन देने का प्रावधान है लेकिन कई स्कूलों में ऐसा हो नहीं रहा है। इस पर जिला शिक्षा अधीक्षक ने श्री राय को बताया कि कई निजी विद्यालयों ने सुप्रीम कोर्ट से छूट लेकर नामांकन नहीं किया है। श्री सरयू राय ने जिला शिक्षा अधीक्षक से सुप्रीम कोर्ट के ऑर्डर की कॉपी मांगी। इस पर कॉपी उपलब्ध कराने के लिए उपायुक्त ने जिला शिक्षा अधीक्षक को निर्देशित किया। उपायुक्त ने कहा कि जनप्रतिनिधि की शिकायतों पर तत्काल संज्ञान लिया जाए और जनप्रतिनिधि को समाधान कर अवगत भी कराया जाए।

 

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