जमशेदपुर / Balram Panda : कहा जाता है कि अगर किसी औरत का हौसला जिंदा हो, तो वह पत्थर को भी पानी बना सकती है। ऐसी ही मिसाल पेश की है उलीडीह थाना क्षेत्र के शंकोसाई रोड नं-1, श्याम नगर की रहने वाली घर की छोटी बेटी ने, जिन्होंने अपनों के तिरस्कार और समाज के तानों को पीछे छोड़ते हुए, खुद की एक नई दुनिया बना ली.
जब अपनों ने छोड़ा, तब बहन बनी संबल…
वक्त ऐसा भी आया जब मां-बाप, भाई और पति सभी ने छोटी बेटी का साथ छोड़ दिया। लेकिन उस समय उसका सहारा बनी उसकी सगी बड़ी बहन, जिन्होंने हर सुख-दुख में उसका हाथ थामे रखा.
अपने ही लोगों ने दबाया, जलील किया — लेकिन छोटी बेटी झुकी नहीं
छोटी बेटी को न सिर्फ अकेलापन झेलना पड़ा, बल्कि अपने ही लोगों ने उसे कई बार दबाने की, अपमानित करने की और हिम्मत तोड़ने की कोशिश की. ताने मारे गए, नजरें चुराई गईं, लेकिन उसने कभी हार नहीं मानी. वो कहती है — “मैं गिराई गई, लेकिन गिरी नहीं. मैं रोई, पर रुकी नहीं. मैं टूटी, पर बिखरी नहीं.”
बर्तन मांजे, बार में काम किया — अब रेस्टोरेंट में नौकरी और खुद का मकान
छोटी बेटी ने लोगों के घरों में बर्तन मांजने से शुरुआत की, फिर एक बार के किचन में नौकरी की और आज एक प्रतिष्ठित रेस्टोरेंट में सर्विस स्टाफ के रूप में काम कर रही हैं. अपने दम पर उसने एक तीन तल्ला मकान खड़ा कर दिया — जो मेहनत, आत्मबल और संघर्ष की जीती-जागती मिसाल है.
हर औरत के लिए एक संदेश — मत झुको, मत रुको
शंकोसाई की यह छोटी बेटी उन लाखों महिलाओं के लिए प्रेरणा है जो हालातों से टूटकर जिंदगी से हार मान लेती हैं. उनकी कहानी बताती है कि अगर खुद पर विश्वास हो, और एक भी सच्चा रिश्ता साथ खड़ा हो, तो कोई भी औरत अपनी किस्मत खुद लिख सकती है.