जनसंवाद, खरसावां (उमाकांत कर): झारखंड सरकार को ग्राम सभा मंच ने ध्यानाकृष्ट कराना चाहती है कि झारखण्ड जंगल बचाओ आन्दोलन ने झाड़खण्ड में जिला सरायकेला- खरसावां, रांची, रामगढ़, बोकारो, हजारीबाग, चतरा, लोहरदगा, सिमडेगा तथा पश्चिमी सिंहभूम में वनाधिकार कानून 2006 के तहत 3 हजार से अधिक ग्रामों में सामुदायिक वन संसाधनों पर उपयोग और प्रबंधन करने का अधिकार पर ग्राम सभाओं ने दावा पत्र दाखिल किया है।
आगला विधानसभा चुनाव के पूर्व विधिसम्मत वनाधिकार प्रमाण पत्र निर्गत करे। यदि झारखंड सरकार समय पर वनाश्रितो को वनाधिकार प्रमाण पत्र निर्गत नहीं करती है। तो वनाश्रितो को मजबूर हो कर धरना प्रदर्शन करेंगे। मालुम हो कि पिछले विधानसभा चुनाव के घोषणा पत्र में भी झामुमो ने वनाधिकार कानून के तहत वनाधिकार प्रमाण पत्र निर्गत करने का उल्लेख किया था। परन्तु चिंता का बिषय है। मुख्यमंत्री चम्पई सोरेन पूर्व में कल्याण मंत्री रह चुके हैं। एवं कल्याण विभाग,वनाधिकार कानून के मामले में नोडल एजेन्सी है। बावजूद भी अपने स्तर से एक भी ग्राम सभा को उपयोग और प्रबंधन का अधिकार वनाधिकार प्रमाण पत्र निर्गत नहीं किया है।
16 जून को पूर्व में तैयार किए गये 5 त्रुटि युक्त सामुदायिक वनाधिकार प्रमाण पत्रों को वितरण किया। ईन्हे सुधार करने की आवश्यकता है। पूर्व में भी रघुवर सरकार के समय तैयार किए गये 47 ग्रामों के सामुदायिक वनाधिकार प्रमाण पत्रों को ही 29 दिसम्बर 2020 को माननीय हेमंत सोरेन के द्वारा वितरण किया गया है। वे भी विधिसम्मत नहीं है।जिन्हें सुधार करने हेतु मुख्यमंत्री सचिवालय झारखंड रांची को 20 फरवरी 2021 को याचिका दर्ज किया गया है। लेकिन अभी तक किसी प्रकार का सुझाव नहीं लिया गया है।
पूर्व मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने भी एक भी ग्राम सभा को वनाधिकार प्रमाण पत्र निर्गत नहीं कर पाये जबकि वनमंत्री स्वयं थे। पूर्व केंद्रीय मंत्री अर्जुन मुण्डा ने भी एक ग्राम सभा को भी सामुदायिक वनाधिकार प्रमाण पत्र निर्गत नहीं कर पाये। जबकि आदिवासी कल्याण मंत्री सह वनाधिकार कानून के क्रियान्वयन के लिए नोडल एजेन्सी भी थे। बर्तमान समय में मंत्री दीपक विरुवा को इस कानून के क्रियान्वयन में एड़ी-चोटी एक कर देना चाहिए। क्योंकि इस समय वे कल्याण मंत्री और नोडल एजेन्सी भी है। ताकि भविष्य में दिक्कतें न हो।जहाँ जरुरत पड़े झारखंड जंगल बचाओ आंदोलन से सहयोग लिया जाए।