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शिक्षक दिवस के अवसर पर साहित्यिक संस्था “दबिस्तान-ए- जमशेदपुर” ने आयोजित की शेरी निशस्त

By Goutam

Published on:

 

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जनसंवाद, जमशेदपुर : शिक्षक दिवस के शुभ अवसर पर जमशेदपुर की साहित्यिक संस्था “दबिस्तान-ए-जमशेदपुर” ने काव्य गोष्ठी का आयोजन किया जिसकी अध्यक्षता प्रसिद्ध शायर गौहर अजीज ने की।

कार्यक्रम के पहले सत्र में “ज्ञान और गुरु” के विषय पर चर्चा हुई जिसमें भाग लेते हुए कई शायरों ने अपने विचार व्यक्त किए। गौहर अजीज ने अपने अध्यक्षीय के भाषण में बताया कि यह प्रकृति का सिद्धांत है कि ज्ञान गुरु के माध्यम से ही शिष्यों तक पहुंचता है। यदि ज्ञान मानव जीवन के लिए अनमोल है तो गुरु भी आदरणीय और पूजनीय है।

कार्यक्रम के दूसरे सत्र में शायरों ने रचनाएं प्रस्तुत कीं। सद्दाम गनी, सकलैन मुश्ताक, फरहान खान फरहान, शोएब अख्तर, सफदर हारून, सैफ अली सैफ वालीउल्लाह वली, सफीउल्लाह सफी तथा सरफराज शाद गजलें प्रस्तुत करने वाले शायरों में शामिल थे। कार्यक्रम का संचालन फरहान खान फरहान ने किया और शोएब अख्तर ने धन्यवाद ज्ञापन किया।

गोष्ठी में पढ़े गए शेरों के नमूने इस प्रकार हैं:-
पारसाओं से कह दो करें बद-दुआ
आज नजरों से पीना पिलाना हुआ: .सद्दाम गनी
रगों में दौड़ता है जब कभी गुस्सा लहू बनकर
किसी के सामने जाकर खड़ा होने से डरता हूं …… फरहान
दहलीज पर आप पहुंचा है अब जुल्म का लश्कर
हम अब भी मुसल्ले पर दुआ मांग रहे हैं …..सकलैन
बज्मे अजीज अस्ल में है महफिले गुहर
उसकी चमक से सारे चमकदार हो गए …….शोएब अख्तर
आशिकी से बदजन था अब तो गरके उल्फत हूं
कब हुआ है आखिर यह हादसा नहीं मालूम …… सफदर हारून
चिराग दिल का हुआ जिसको देखकर रौशन
उसी सितारे का चेहरा नजर में अब तक है …..सैफ अली सैफ
रंशनी बन के निगाहों में उतर जाऊंगा
दूर जाना है मुझे मिस्ले नजर जाऊंगा….. गौहर अजीज

 

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