होम 

राज्य

नौकरी

राजनीति

देश दुनिया

योजना

खेल समाचार

टेक

जमशेदपुर

धर्म-समाज  

वेब स्टोरी 

---Advertisement---

Resized Sharma Furniture Banner 1-01-01
Resized Sharma Furniture Banner 2-02
previous arrow
next arrow
03 (29)
04
previous arrow
next arrow

 

क्या सरायकेला विधानसभा भाजपा के लिए इस बार भी साबित होगा अभेध किला? पूर्व मुख्यमंत्री चम्पई सोरेन इस बार भी पेश करेंगे दावेदारी या फिर बाबूलाल सोरेन या दुखनी सोरेन को मिल सकता है उत्तराधिकारी बनने का मौका? पढ़े खास रिपोर्ट

By Goutam

Published on:

 

सरायकेला

---Advertisement---

01 (48)
02 (50)
previous arrow
next arrow

जनसंवाद, सरायकेला : करीब दो दशकों से सरायकेला विधानसभा भाजपा के लिए एक अभेध किला बनी हुई है। प्रत्याशी जो भी हो लेकिन चम्पई सोरेन के सामने हर कोई घुटने टेकते नजर आ रहे है। यहाँ तक कि 2014 का मोदी लहर भी सरायकेला बिधानसभा में अपना असर दिखाने में नाकामयाब साबित हुआ। सरायकेला विधानसभा में जनता किसी अन्य चेहरे को देखना ही नही चाह रही है। जनता पूर्व मुख्यमंत्री के द्वारा किए गए विकास कार्यो के कारण कोई और विकल्प पसन्द ही नही कर रही है।

परन्तु अब सवाल यह उठ रहा है कि 7 बार के विधायक चम्पई सोरेन क्या आठवी बार भी इतिहास दोहराएंगे या फिर अपनी विरासत अपने उत्तराधिकारी को सौंपेंगे। वैसे प्रबल उत्तराधिकारी के रूप में उनके बेटे बाबूलाल सोरेन और बड़ी बेटी और समाजसेविका दुखनि सोरेन का नाम सबसे आगे आ रहा है। बाबूलाल सोरेन हालांकि सरायकेला क्षेत्र में काफी अच्छी पकड़ रखते है और आदिवासी तथा महतो समाज में उनकी एक अच्छी पहचान है

वही दुखनि सोरेन की पहचान एक स्वच्छ छवि वाली समाजसेविका के रूप में काफी प्रचलीत है। लोगो के सुख दुख में सदैव सम्मिलित होना, लोगो की मांगों को सरकार तक पहुचना, जनता की हक की लड़ाई लड़ना उनकी एक अलग पहचान बनाता है। दुखनि सोरेन को आदिवासी वर्ग के साथ साथ गैर आदिवासी वर्ग का भी अच्छा खासा समर्थन मिल रहा है

अब ये देखना दिलचस्प होगा कि इस बार की विधानसभा में पूर्व मुख्यमंत्री खुद ही मैदान में उतरते है या फिर एक नए चेहरे को जनता के सामने पेश करते है। या फिर भाजपा के लिए गले की हड्डी बनी हुई सरायकेला विधानसभा में जनता भाजपा को मौका देती है या नही?

 

---Advertisement--- 

 

Leave a Comment