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बिरसानगर में 90 साल के बुजुर्ग पिता को बेटे और बहु ने उनके ही घर से किया बेदखल, दर-दर की ठोकर खाने को मजबूर, न्याय की आस में पथरा गई आँखें

By Goutam

Updated on:

 

बिरसानगर

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जनसंवाद, जमशेदपुर: जिसने पाल पोस कर बेटे को बड़ा किया, अपनी मेहनत की गाढ़ी कमाई से एक-एक तिनका जोड़कर आशियाना बनाया, जिसने अपने पोते-पोती को काबिल बनाने के लिए अपना दो- दो घर बेच दिया, आज वही पिता अपने बेटे के लिए बोझ बन गए। 90 साल के बुज़ुर्ग पिता को उनके ही बनाये घर से बेदखल कर दिया। इतना ही नहीं उसने अपने पिता को सरेआम पहचानने से ही इनकार कर दिया।


जी हाँ! ये कहानी है बिरसानगर जोन नंबर 1बी साधूडेरा के रहने वाले 90 वर्षीय बुज़ुर्ग पीएन सिंह उर्फ़ परमानंद सिंह की। जिन्होंने सोमवार को मीडिया के सामने नम आँखों से अपनी आपबीती सुनाई और मीडिया के माध्यम से अपना हक़ वापस पाने की उम्मीद से प्रशासन से भी न्याय की गुहार लगाई है।

उन्होंने मीडिया के सामने कहा कि उनको बड़े बेटे और बहु ने उनके ही बनाये घर से बेदखल कर दिया। इतना ही नहीं उन्हें घर से धक्के मारकर बाहर निकाल दिया और लोगों के सामने उन्हें पहचानने से इंकार कर दिया। इसके बाद से वो दर-दर की ठोकरें खा रहे है। अपनी बेटी के घर में रहकर न्याय का इंतज़ार कर रहे है।

बुज़ुर्ग का कहना है कि वो रिटायर होने के बाद बिरसानगर के अपने घर में रहते थे। लेकिन जब उनकी पत्नी का निधन हो गया तो उन्हें गहरा सदमा लगा। इसके बाद उनका छोटा बेटा अखिलेश सिंह उन्हें इलाज कराने के लिए बेटी के नीलडीह स्थित घर लेकर आ गये। यहाँ उनका डॉक्टर से स्पेशल ट्रीटमेंट चल रहा था। ठीक होने के बाद करीब 3-4 महीने बाद वो वापस रहने के लिए बिरसानगर स्थित अपने घर गए। घर जाते ही उनका बड़ा बेटा मिथिलेश कुमार उन्हें पहचाने से इंकार कर दिया और धक्कामुक्की करने लगा और जबरन धक्का देकर उन्हें घर से बाहर निकाल दिया। इतना ही नहीं उनकी पत्नी के गहने और पैसे से भरा लॉकर भी अपने कब्जे में रख लिया। सदमे में उनकी पत्नी को हार्ट अटैक आने से निधन हो गया।

उन्होंने बताया कि बेटे की प्रताड़ना से आजिज होकर उन्होंने स्थानीय थाना, सिटी एसपी, एसडीएम कार्यालय और ह्यूमन राईट में अपना हक़ पाने के लिए गुहार लगते रहे। लेकिन उन्हें आजतक कहीं से न्याय नहीं मिला। थक हार कर वो मीडिया के सामने अपना दर्द सुना रहे है। उन्होंने साफ़ शब्दों में कहा कि बिरसानगर का घर मेरा है, ये मरी दिवंगत पत्नी की निशानी है। हम इस घर में अपने बड़े बेटे को नहीं रखना नहीं चाहते है। मुझे मेरे घर में रहने दिया जाए।

 

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